Wednesday, 21 October 2015

एक प्रार्थना माँ से

आप सभी मित्रों को दुर्गापूजा की हार्दिक शुभकामनाएं । प्रस्तुत है इस अवसर पर एक प्रार्थना गीत ।
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जो कुछ भी है मेरा वह
सब तुम्ही को है समर्पण
स्वीकार करो हे जननी
मेरा भक्ति भाव अर्पण

रूप, शक्ति, भौतिक काया
भ्रम, अज्ञान, असत छाया
क्षितिज पार जो विभास है
सर्व  उसमे हो विसर्जन
स्वीकार करो हे जननी
मेरा भक्ति भाव अर्पण

जले हृदय मेरे  रावण
प्रेम भाव मानस  पावन
रोम रोम में राम बसे
कैसा भी तर्जन गर्जन
स्वीकार करो हे जननी
मेरा भक्ति भाव अर्पण

ऐसे मम नाशो दुर्गति
बढ़े गति मंजिल हो मुक्ति
तेरा करूँ तुझे वापस
कटे उलझे सारे बंधन
स्वीकार करो हे जननी
मेरा भक्ति भाव अर्पण
-- नीरज कुमार नीर --
#neeraj_kumar_neer
#prarthana #maa #bhakti #प्रार्थना #माँ 

2 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति

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  2. आपने अपनी ये रचना 21 अक्टूबर को लिखी है यानी दुर्गा पूजन के दिन ! उस दिन नही पढ़ पाया लेकिन आज भी इसकी महत्ता कम नही हुई , न हो सकती है ! जैसे माँ की महत्ता कभी कम नही हो सकती ! जय माता दी

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