एक साल खत्म हुआ
नया साल आ रहा है
समय कितनी जल्दी बीत जाता है
देखते देखते बीत गए
कितने बरस
गहरे उच्छ्वास के साथ मन ने कहा
समय सुन रहा था मुझे
उसने मुस्कुरा कर कहा
बीत तो तुम रहे हो मेरे बच्चे
मैं तो वहीं का वहीं हूँ
अनंत काल से
आगे भी वहीं रहूँगा
तुम्हारे पुनः पुनः पुनरागमन के दौरान
तुम्हारे निर्वाण तक
जब मैं हो जाऊँगा
अर्थहीन
तुम्हारे लिए।
नीरज कुमार नीर
#Neeraj_Kumar_Neer
#new_year
नया साल आ रहा है
समय कितनी जल्दी बीत जाता है
देखते देखते बीत गए
कितने बरस
गहरे उच्छ्वास के साथ मन ने कहा
समय सुन रहा था मुझे
उसने मुस्कुरा कर कहा
बीत तो तुम रहे हो मेरे बच्चे
मैं तो वहीं का वहीं हूँ
अनंत काल से
आगे भी वहीं रहूँगा
तुम्हारे पुनः पुनः पुनरागमन के दौरान
तुम्हारे निर्वाण तक
जब मैं हो जाऊँगा
अर्थहीन
तुम्हारे लिए।
नीरज कुमार नीर
#Neeraj_Kumar_Neer
#new_year
मानव के आत्मीय विकास की पंक्तियाँ
ReplyDeleteआपने लिखा...
ReplyDeleteऔर हमने पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 17/01/2016 को...
पांच लिंकों का आनंद पर लिंक की जा रही है...
आप भी आयीेगा...
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-01-2016) को "सुब्हान तेरी कुदरत" (चर्चा अंक-2224) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सही कहा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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ReplyDeleteसुंदर।
ReplyDeleteबहुत सुंदर । सच है वक़्त की सच्चाई ।
ReplyDeleteसुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार!
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका स्वागत है...
सच है समय तो रहता है वहीं ... बीत तो हम जाते हैं साल दर साल ...
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