"जंगल में पागल हाथी और ढोल" संग्रह से एक कविता :
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कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
सूर्य वही चाँद वही
धूप वही छांव वही
वही गली वही डगर
गांव वही, वही शहर
घृणा वही, रार वही
दिलों में दीवार वही
मंदिर और मस्जिद के
जारी हैं तकरार वही
प्रेम होना चाहिए आपस में हर हाल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
वही गगन वही धरा
आदमी है डरा डरा
हर तरफ आतंक वही
मजहबी पाखंड वही
रीति वही नीति वही
कायम राजनीति वही
भूख वही लूट वही
लूटने की छूट वही
उलझा हुआ है आदमी पेट के सवाल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
सोच व विचार वही
वोट का आधार वही
चाल वही भेड़ वही
कुर्सी का खेल वही
सत्ता का लोभ वही
जनता में क्षोभ वही
रोग व बीमार वही
वैद्य उपचार वही
लोकतंत्र पड़ा है कब से अस्पताल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में….
………… #नीरज नीर
#neeraj_neer
#new_year
#hindi_poem
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कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
सूर्य वही चाँद वही
धूप वही छांव वही
वही गली वही डगर
गांव वही, वही शहर
घृणा वही, रार वही
दिलों में दीवार वही
मंदिर और मस्जिद के
जारी हैं तकरार वही
प्रेम होना चाहिए आपस में हर हाल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
वही गगन वही धरा
आदमी है डरा डरा
हर तरफ आतंक वही
मजहबी पाखंड वही
रीति वही नीति वही
कायम राजनीति वही
भूख वही लूट वही
लूटने की छूट वही
उलझा हुआ है आदमी पेट के सवाल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में
सोच व विचार वही
वोट का आधार वही
चाल वही भेड़ वही
कुर्सी का खेल वही
सत्ता का लोभ वही
जनता में क्षोभ वही
रोग व बीमार वही
वैद्य उपचार वही
लोकतंत्र पड़ा है कब से अस्पताल में
कुछ तो नया कीजिये अबके नए साल में….
………… #नीरज नीर
#neeraj_neer
#new_year
#hindi_poem
#jungle_mein_ pagal_ hathi_ aur_ dhol