"जंगल में पागल हाथी और ढोल' को पढ़कर वरिष्ठ कवि श्री राजेश्वर वशिष्ठ कहते हैं --------
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. नीरज नीर बहुत संभावनाशील,चैतन्य कवि हैं जो समाज की नब्ज को भरपूर विवेक और ईमानदारी से अपनी कविताओं में टटोलते हैं। हिंदी कविता के परिदृश्य में यह एक चमकदार नक्षत्र का प्रतीक्षित उदय है। बधाई।
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