इश्क होता है जरूर दिल –ए नाकाम से पहले .
मेरी हालत देख कर आते हैं सबकी आँख में आंसू
मैं भी कितना खुश था गर्दिश ए अय्याम से पहले .
सुकूत ए वक्त देखकर इत्मिनान मत हो जाइए
होती है ऐसी ही शांति हर कोहराम से पहले.
नक्श ए सुकूत औ जुमूद तारी है जिंदगी पर
गर्म दोपहर तो आये रंगीन शाम से पहले.
मुझे आदत नहीं किसी का एहसान लेने की
काम तो मेरा देखिये कोई इनाम से पहले.
नीरज कुमार 'नीर'
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है नीरज जी |
ReplyDeleteनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
बहुत सुंदर गजल ! बेहतरीन शेर,,,
ReplyDeleteRECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
आप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 21/10/2013 कोकुछ पंखतियों के साथ नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
ReplyDeleteसूचनार्थ।
आभार आपका कुलदीप भाई ..
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन कुछ खास है हम सभी में - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन
Deletekya bat hai khari -khari baaten bina lag-lapet ke ....
ReplyDeleteशुक्रिया अरुण भाई
ReplyDeleteजबरदस्त ग़ज़ल.
ReplyDeleteमुझे आदत नहीं किसी का एहसान लेने की
काम तो मेरा देखिये कोई इनाम से पहले.
क्या बात कही है.
सुकूत ए वक्त देखकर इत्मिनान मत हो जाइए
ReplyDeleteहोती है ऐसी ही शांति हर कोहराम से पहले.============बहुत प्यारी ग़ज़ल ,,,बधाई
सुकूत ए वक्त देखकर इत्मिनान मत हो जाइए
ReplyDeleteहोती है ऐसी ही शांति हर कोहराम से पहले.
वाह !! बहुत सुंदर, नीरज जी.
नई पोस्ट : धन का देवता या रक्षक
क्या बात है।
ReplyDeleteबढ़िया ग़ज़ल .....
ReplyDeleteबहुत सुंदर गजल, बधाई नीरज जी.
ReplyDeleteमुझे आदत नहीं किसी का एहसान लेने की
ReplyDeleteकाम तो मेरा देखिये कोई इनाम से पहले. ..
बहुत उम्दा शेर है ... पूरी गज़ल कमाल की है ...
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteमुझे आदत नहीं किसी का एहसान लेने की
ReplyDeleteकाम तो मेरा देखिये कोई इनाम से पहले.---------
वाह जीवन की सार्थकता को बयां करती खूबसूरत गजल
बधाई
उम्दा गजल ...बधाई
ReplyDeleteachcha likha hia aapne, par kuch words upar se ud gaye, kripya unka arth bhi likh diya kare neeche.....
ReplyDeleteअदभुत ,सुंदर गजल |
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत ग़ज़ल ....
ReplyDeleteवाह...बहुत सुंदर और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...
ReplyDeletemadhukant.shah.
ReplyDeleteexcellent,still improve.
सुकूत ए वक्त देखकर इत्मिनान मत हो जाइए
ReplyDeleteहोती है ऐसी ही शांति हर कोहराम से पहले.
नक्श ए सुकूत औ जुमूद तारी है जिंदगी पर
गर्म दोपहर तो आये रंगीन शाम से पहले.
बहुत खूब नीरज जी
कल 05/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
बहुत खुबसूरत
ReplyDeleteमुझे आदत नहीं किसी का एहसान लेने की
ReplyDeleteकाम तो मेरा देखिये कोई इनाम से पहले
बहुत बढ़िया