(#सार्थक #जनवरी 2016 अंक में #प्रकाशित)
जब जब जागी उम्मीदें ,
अरमानों ने पसारे पंख.
देखा बहेलियों का झुंड,
आसपास ही मंडराते हुए,
समेट लिया खुद को
झुरमुटों के पीछे.
अँधेरा ही भाग्य बना रहा.
हमारे ही लोग,
हमारे जैसे शक्लों वाले,
हमारे ही जैसे विश्वास वाले,
करते रहे बहेलियों का गुण गान.
उन्हें बताते रहे हमारी कमजोरियों के बारे में
बहेलिये भी हराए जा सकते हैं.
कभी सोचा ही नहीं .
उनकी शक्ति प्रतीत होती थी अमोघ.
जंगल में लगी आग में देखा
बहेलिये को भयाक्रांत
जान बचाकर भागते हुए
बहेलिया भी डरता है,
वह हराया जा सकता है..
उठा लिया एक लुआठी.
सबने कहा यह गलत है..
बहेलिये को डराना है अनैतिक.
हम हैं इतने ज्यादा , बहेलिये इतने कम
पर धीरे धीरे जमा होने लगे सभी
बन गयी एक लम्बी श्रृंखला लुआठियों की
भयमुक्त जीना
अपनी संततियों के लिए सुखद भविष्य देखना
अच्छा लगता है .
अच्छे दिन आ गए.
#neeraj_kumar_neer
….
#नीरज कुमार नीर
बहुत बढ़िया--
ReplyDeleteसादर --
आभार ब्लॉग बुलेटिन ..
ReplyDeleteलाजवाब ।
ReplyDeleteभयमुक्त जीना
ReplyDeleteअपनी संततियों के लिए सुखद भविष्य देखना
अच्छा लगता है .
अच्छे दिन आ गए.
आमीन।
bahut acchi abhivyakti
ReplyDeleteसार्थक व् सुन्दर अभिव्यक्ति .बधाई
ReplyDeleteयही तो है जीवन...सब कुछ दिखाता है.
ReplyDeleteउठा लिया एक लुआठी.
ReplyDeleteसबने कहा यह गलत है..
बहेलिये को डराना है अनैतिक.
हम हैं इतने ज्यादा , बहेलिये इतने कम
पर धीरे धीरे जमा होने लगे सभी
बन गयी एक लम्बी श्रृंखला लुआठियों की
भयमुक्त जीना
अपनी संततियों के लिए सुखद भविष्य देखना
अच्छा लगता है .
अच्छे दिन आ गए.
उम्मीद पर दुनिया कायम है
भयमुक्त जीवन ... अच्छे भविष्य की आशा ...
ReplyDeleteसार्थक रचना ...
सुखद भाविष्य का सपना बुनना अच्छा लगता है ...सुन्दर रचना ..
ReplyDeleteसुखद भाविष्य का सपना बुनना अच्छा लगता है... सुन्दर रचना
ReplyDeleteएकता में बल है, सुंदर रचना.
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