Monday, 22 June 2015

रात रानी

रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में
जब किसान बोता है
मिट्टी में स्वेद बूंद और
धरा ठहरती है उम्मीद से
जब श्रमिक बोझ उठाये
एक होता है
ईट और गारों के साथ
शहर की अंधी गलियों में
जहां हवा भी भूल जाती है रास्ता ।
तुम्हारी ताजा महक
भर सकती है उनमें उमंग
मिटा सकती है उनकी थकान
दे सकती है उत्साह के कुछ पल
कड़ी धूप का अहसास कम हो सकता है ।
पर तुम महकते हो रात में
जब किसान और श्रमिक
अंधेरे की चादर ओढ़े
थकान से चूर चले जाते हैं
नींद के आगोश में ।
तुम महकते हो
जब ऊंचे प्राचीरों वाले बंगले में
दमदमाती है डिओड्रेण्ट और परफ़्यूम की महक
जहां गौण हो जाता है तुम्हारा होना
तुम्हारा अस्तित्व होता है निरर्थक ।
रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में ?
... #नीरज कुमार नीर
#neeraj #rat_rani #umang #shahar #kisan #perfume #deodrant 

11 comments:

  1. किसान को परवाह नही है मित्र वर
    वो मदहोश है मिट्टी की सौधी खुशबू मे

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  2. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नारी शक्ति - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  3. सुन्दर भाव लिए रचना |

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  4. सार्थक प्रश्न ... शायद इतराती है अपने होने पे ...

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  5. बहुत सुन्दर ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  6. बहुत ही गहन मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत कविता।

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  7. बहुत बहुत सुन्दर भावनाओं में लिप्त रचना कविवर नीर साब ! शानदार रचना

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  8. नीरज जी ,रात की रानी के फूल को सींचने वाले किसान को केंद्र मे रखकर आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है .

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  9. नीरज जी ,रात की रानी के फूल को सींचने वाले किसान को केंद्र मे रखकर आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है .

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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