रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में
जब किसान बोता है
मिट्टी में स्वेद बूंद और
धरा ठहरती है उम्मीद से
जब श्रमिक बोझ उठाये
एक होता है
ईट और गारों के साथ
शहर की अंधी गलियों में
जहां हवा भी भूल जाती है रास्ता ।
तुम्हारी ताजा महक
भर सकती है उनमें उमंग
मिटा सकती है उनकी थकान
दे सकती है उत्साह के कुछ पल
कड़ी धूप का अहसास कम हो सकता है ।
पर तुम महकते हो रात में
जब किसान और श्रमिक
अंधेरे की चादर ओढ़े
थकान से चूर चले जाते हैं
नींद के आगोश में ।
तुम महकते हो
जब ऊंचे प्राचीरों वाले बंगले में
दमदमाती है डिओड्रेण्ट और परफ़्यूम की महक
जहां गौण हो जाता है तुम्हारा होना
तुम्हारा अस्तित्व होता है निरर्थक ।
रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में ?
... #नीरज कुमार नीर
#neeraj #rat_rani #umang #shahar #kisan #perfume #deodrant
भरी दुपहरी में
जब किसान बोता है
मिट्टी में स्वेद बूंद और
धरा ठहरती है उम्मीद से
जब श्रमिक बोझ उठाये
एक होता है
ईट और गारों के साथ
शहर की अंधी गलियों में
जहां हवा भी भूल जाती है रास्ता ।
तुम्हारी ताजा महक
भर सकती है उनमें उमंग
मिटा सकती है उनकी थकान
दे सकती है उत्साह के कुछ पल
कड़ी धूप का अहसास कम हो सकता है ।
पर तुम महकते हो रात में
जब किसान और श्रमिक
अंधेरे की चादर ओढ़े
थकान से चूर चले जाते हैं
नींद के आगोश में ।
तुम महकते हो
जब ऊंचे प्राचीरों वाले बंगले में
दमदमाती है डिओड्रेण्ट और परफ़्यूम की महक
जहां गौण हो जाता है तुम्हारा होना
तुम्हारा अस्तित्व होता है निरर्थक ।
रात रानी क्यों नहीं खिलती हो तुम
भरी दुपहरी में ?
... #नीरज कुमार नीर
#neeraj #rat_rani #umang #shahar #kisan #perfume #deodrant
sundar prastuti!
ReplyDeleteकिसान को परवाह नही है मित्र वर
ReplyDeleteवो मदहोश है मिट्टी की सौधी खुशबू मे
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, नारी शक्ति - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteBahut sundr rachna
ReplyDeleteसुन्दर भाव लिए रचना |
ReplyDeleteसार्थक प्रश्न ... शायद इतराती है अपने होने पे ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,शुभकामनायें और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeleteबहुत ही गहन मानवीय भावनाओं से ओतप्रोत कविता।
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर भावनाओं में लिप्त रचना कविवर नीर साब ! शानदार रचना
ReplyDeleteनीरज जी ,रात की रानी के फूल को सींचने वाले किसान को केंद्र मे रखकर आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है .
ReplyDeleteनीरज जी ,रात की रानी के फूल को सींचने वाले किसान को केंद्र मे रखकर आपने बहुत ही अच्छी कविता लिखी है .
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