Friday, 19 June 2015

साये से इक प्यार किया था

साये से इक प्यार किया था
खुशबू का व्यापार किया था

दिन जब ढला रौशनी गायब
सूरज पर एतबार किया था

मंजिल नहीं मिली कभी भी
पत्थर को हमराह किया था

जाने मेरे मन में आया क्या
आसमां में द्वार किया था

वो हाकिमे मकतल था जिसके
संग रहना स्वीकार किया था
............. नीरज कुमार नीर
#NEERAJ_KUMAR_NEER 
#gazal 

11 comments:

  1. बहुत सुन्दर
    हर शेर लाजवाब

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  2. mar ker jeena swikar kiya tha................. ek baar kisi se pyar kiya tha
    jane koun sa karobarkiya tha..................log ye samjhe vyapar kiya tha

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  3. sundertam kahu thobehrer hoga..............naaz mitre per kyu na hoga....umda neeraj ji

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    Replies
    1. शुक्रिया आपका आराधना जी ...

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना..

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  5. शुक्रिया आपका .....

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  6. भाई तनिक भी नाराजगी नहीं है। पता नहीं क्‍यों ऐसा लगा कि आप मेरे ब्‍लाग पर नहीं आ रहे। दूसरी जगह विजिट देखकर ऐसा तो कोई भी महसूस कर सकता है। वैसे आजकल मैं भी ब्‍लाग पर नहीं आ पा रही हूं। मेडिकल ट्रीटमेंट की वजह से पर जब भी मौका मिलता है, मैं ज्‍यादा से ज्‍यादा ब्‍लाग्‍स पर विजिट करने की कोशिश कर रही हूं।

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  7. बहुत सुन्दर शब्दों से सजी रचना ...

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  8. ​बहुत खूब ! एक से बढ़कर एक खूबसूरत शेर

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