साये से इक प्यार किया था
खुशबू का व्यापार किया था
दिन जब ढला रौशनी गायब
सूरज पर एतबार किया था
मंजिल नहीं मिली कभी भी
पत्थर को हमराह किया था
जाने मेरे मन में आया क्या
आसमां में द्वार किया था
वो हाकिमे मकतल था जिसके
संग रहना स्वीकार किया था
............. नीरज कुमार नीर
खुशबू का व्यापार किया था
दिन जब ढला रौशनी गायब
सूरज पर एतबार किया था
मंजिल नहीं मिली कभी भी
पत्थर को हमराह किया था
जाने मेरे मन में आया क्या
आसमां में द्वार किया था
वो हाकिमे मकतल था जिसके
संग रहना स्वीकार किया था
............. नीरज कुमार नीर
#NEERAJ_KUMAR_NEER
#gazal
#gazal
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहर शेर लाजवाब
mar ker jeena swikar kiya tha................. ek baar kisi se pyar kiya tha
ReplyDeletejane koun sa karobarkiya tha..................log ye samjhe vyapar kiya tha
sundertam kahu thobehrer hoga..............naaz mitre per kyu na hoga....umda neeraj ji
ReplyDeleteशुक्रिया आपका आराधना जी ...
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना..
ReplyDeleteशुक्रिया आपका .....
ReplyDeletebahut hi achha laga ,
ReplyDeleteभाई तनिक भी नाराजगी नहीं है। पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि आप मेरे ब्लाग पर नहीं आ रहे। दूसरी जगह विजिट देखकर ऐसा तो कोई भी महसूस कर सकता है। वैसे आजकल मैं भी ब्लाग पर नहीं आ पा रही हूं। मेडिकल ट्रीटमेंट की वजह से पर जब भी मौका मिलता है, मैं ज्यादा से ज्यादा ब्लाग्स पर विजिट करने की कोशिश कर रही हूं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दों से सजी रचना ...
ReplyDeleteबहुत खूब ! एक से बढ़कर एक खूबसूरत शेर
ReplyDeleteलाजवाब
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