Thursday, 15 March 2012

“हुस्न”

बला का हुस्न
और बल खा के चलना .
तितलियों सा रंग
ऐ दिल जरा संभलना .
बला का हुस्न
और बल खा के चलना.
मेरी जान ले लेंगी ,
अदाएं कातिलाना .
जुल्फों का यूँ झटकना
नैनों का यूँ मटकना .
बला का हुस्न
और बल खा के चलना.
बच के रहना ऐ दिल, 
हुस्न घाव देता है .
किसी को दर्द देता है ,
किसी कि जान लेता है.
......... नीरज कुमार 'नीर'

1 comment:

  1. बच के रहना ऐ दिल,
    हुस्न घाव देता है .
    किसी को दर्द देता है ,
    किसी कि जान लेता है.
    क्या बात है ! बहुत खूब , नीरज जी

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