Thursday, 29 March 2012

“प्रयत्न”



नभ के नीले आंगन में,
विचर रहा एक मेघ –खंड ,
आवृत करने रवि पुंज को
कर रहा उद्यम.

सहकर उष्णता का उत्ताप
गगन के विस्तार को रहा माप .
वेध रही तीक्ष्ण किरणें रवि की,
पर आतुर बांधने को रवि का प्रताप.

देखो! प्रमिलित हुआ रवि ,
सफल हुआ मेघ का उद्यम
दिल में लगन हो सच्ची अगर
निष्फल नहीं होता प्रयत्न .
....... नीरज कुमार 'नीर'

3 comments:

  1. दिल में लगन हो सच्ची अगर
    निष्फल नहीं होता प्रयत्न .

    बिलकुल सच्ची बात ! बहुत सुन्दर रचना !

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  2. बहुत सुन्दर रचना....

    ReplyDelete

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