सूखे खेतों की दरारें,
और किसानो के फटें होठ,
बता रहें है की दोनों को,
बहुत दिनों से नमी नसीब
नहीं .
छप्पर वाले घर से निकलता
धुआं
आज कई दिनों बाद
उस घर में जला है चूल्हा
उस घर के मालिक की
भुखमरी से मौत हुई है आज
आज ही, सरकार ने दिया है
अनाज.
..................... नीरज कुमार 'नीर'
ओह!बहुत ही मार्मिक ...... प्रेमचंद जी की कहानियाँ याद दिला दी आपने
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना
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