Sunday, 8 April 2012

“रुखसार”



तीर कमान सी भवें तेरी
नैन तेरे कटार
तेरी अदा पे मर गया नीरज
शाहे गुल रुखसार
मेरे चमन की फूल हो तुम
करता हूँ इकरार
तेरी एक हसीं से जानम
आ जाती है बहार
सुर्ख गुलाबी होठ तुम्हारे
ले गए चैन करार
तेरा आंचल जब लहराए
बहे वासंती बयार .
तेरी अदा पे मर गया ‘नीरज’
शाहे –गुल रुखसार.
................. नीरज कुमार 'नीर'

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