Friday, 4 May 2012

चाँद की ख्वाहिश


कल रात चाँद मेरे घर आया 
हुई दरवाजे पे दस्तक 
खिडकी पे नज़र आया
नज़रें मिली मुझसे 
थोडा शरमाया ,
कहा मुझसे
मुझे अपने घर में जगह दे दो
मुझे अपनी सी जीने की वजह दे दो
मैं चाँद हूँ, 
जिंदगी रौशनी से भर दूँगा
जितना चाहोगे 
उससे बेहतर दूँगा
मैने  कहा 
मुझे और की ख्वाहिश नहीं है 
जो है मेरे पास
बहुत है
और की फरमाइश नहीं है 
एक दीया है काफी 
जिंदगी में रोशनी के लिए
आंसू भी है जरूरी 
आँखों में नमी के लिए 
मेरी  कोशिश है 
जीवन यूँ ही चलता रहे
तुफानो झंझावातों में
दिया जलता रहे
दिया जलता रहे
दिया जलता रहे.
................ #नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer 
#chand #toofan #jindagi #hindi_poem 

6 comments:

  1. सुंदर, दिया ही सही अपना तो है.

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  2. बहुत ही सकारात्मकता लिए हुए है आपकी रचना।

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  3. एक दीया है काफी जिंदगी में रोशनी के लिए,
    आंसू भी है जरूरी आँखों में नमी के लिए .
    मेरी कोशिश है जीवन यूँ ही चलता रहे.
    तुफानो झंझावातों में दिया जलता रहे .
    बहुत ही सार्थक शब्द नीरज जी

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  4. एक दीया काफी है....! सुन्दर प्रस्तुति , साभार! आदरणीय नीरज जी !
    धरती की गोद

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण ....ज्यादे की चाहत न रखने वाला ही खुश रहता है

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