मैं जो दर्द अनुभव करता हूँ , जो दुःख भोगता हूँ, जिस आनंद का रसपान करता हूँ , जिस सुख को महसूस करता हूँ, मेरी कवितायें उसी की अभिव्यंजना मात्र है ।
बेहतरीन कविता नीरज जी ।बहुत खूब।
तुम गीत वहीं फिर गाते हो जो मन में आन समाता है उषा कि प्याली में रचे बसे किरणों का दीप जलाता है नीरज जी आप को देख कर गोपाल दास नीरज याद आ जाते है।
क्या कहने आराधना जी ... किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ ..... आपके उत्साहवर्धन से मान बढ़ा है ..... शुक्रिया शुक्रिया .....
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.
बेहतरीन कविता नीरज जी ।बहुत खूब।
ReplyDeleteतुम गीत वहीं फिर गाते हो जो मन में आन समाता है
ReplyDeleteउषा कि प्याली में रचे बसे किरणों का दीप जलाता है
नीरज जी आप को देख कर गोपाल दास नीरज याद आ जाते है।
क्या कहने आराधना जी ... किन शब्दों में आपका आभार व्यक्त करूँ ..... आपके उत्साहवर्धन से मान बढ़ा है ..... शुक्रिया शुक्रिया .....
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