क्षितिज के उस पार प्रिय,
जहाँ तुम ना होगी,
जहाँ चाँद , सूरज ना होगें,
ना खुशियाँ होगी,
ना गम होगा,
ना प्रकाश, ना तम होगा.
ना उजाले के लिए तरसुंगा,
ना अंधियारे से लड़ना होगा.
ना कुछ पाने की ख्वाहिश,
ना खोने का भय होगा.
क्षितिज के उस पार प्रिय,
मैं हूँगा और होंगी तुम्हारी यादें,
तुम्हारी खूबसूरत यादें
…………. नीरज कुमार नीर
जहाँ तुम ना होगी,
जहाँ चाँद , सूरज ना होगें,
ना खुशियाँ होगी,
ना गम होगा,
ना प्रकाश, ना तम होगा.
ना उजाले के लिए तरसुंगा,
ना अंधियारे से लड़ना होगा.
ना कुछ पाने की ख्वाहिश,
ना खोने का भय होगा.
क्षितिज के उस पार प्रिय,
मैं हूँगा और होंगी तुम्हारी यादें,
तुम्हारी खूबसूरत यादें
…………. नीरज कुमार नीर
कल 12/सितंबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
ReplyDeleteधन्यवाद !
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteवाह.... बहुत ही खूबसूरत रचना
ReplyDeleteरंगरूट