नई चिकनी सड़क,
डामर की काली सड़क,
इठलाती, बल खाती,
गर्वीली, सर उठाये ।
सर सर भागती गाडियां,
चमचमाती , मंहगी कीमती गाडियां,
खुशी से झूमती,
स्वयं पर इतराती
काली सड़क।
फिर आयी बरसात,
खूब घटा छाई,
बारिश हुई घनघोर,
उभर आये सड़क पर गड्ढे,
जीवन में दुःख जैसे,
कुरेदते, घावों की तरह
टीस से भर देते.
नजरें झुकाए अपमानित सा,
आने जाने वाली गाड़ियों को देखती,
याद आते पुराने दिन,
तिर आती खुशी,
मुरझाये चेहरे पर।
पर प्रकृति परिवर्तनशील है।
वर्षा के अवसान पर,
आयेंगे ठेकेदार के लोग,
मशीने लेकर बड़ी बड़ी,
फिर चिकनी होगी सड़क
दिन फिर
बहुरेंगे,
जीवन खुशियों से भर जायेगा
दुःख सदैव नहीं रहेंगे.
.......................
नीरज
कुमार नीर
neeraj kumar neer
सुन्दर भाव नीरज जी
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत शुक्रिया बलबीर जी.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteदुःख सदैव नहीं रहते.....क्यूँ रहेंगे...सुख भी कहाँ रहता है टिक कर..
अनु
shukriya anu ji.
ReplyDeleteहमेशा की तरह बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDelete