Wednesday, 5 September 2012

ना मिले मुझे चाँद


ना मिले मुझे चाँद तो कोई गम नहीं,
सूरत मेरे यार की चंदा से कम नहीं.
है, हसीन  दुनियां, जिसके जमाल से,
हर तरफ है रौशनी हुस्नो-आब से.
है, फूलों को भी रस्क, मेरे नसीब से,
खुशबू मेरे यार की फूलों से कम नहीं.
उनके कदम पड़े तो गुलशन भी हँस पड़े,
हुस्न मेरे यार का बहारों से कम नहीं..
वो होंगे और, जिन्हें खुदा की तलाश है,
मुहब्बत मेरे यार की खुदा से कम नहीं..
चाहे मुझे काफिर समझ ले ज़माना,
इश्क मेरे यार का इबादत से कम नहीं..  

            नीरज कुमार 

2 comments:

  1. उनके कदम पड़े तो गुलशन भी हँस पड़े,
    हुस्न मेरे यार का बहारों से कम नहीं...
    बहुत खूब नीरज जी ... प्रेम भरी ग़ज़ल के शेर चार चाँद लगा रहे हैं ...

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  2. वो होंगे और, जिन्हें खुदा की तलाश है,
    मुहब्बत मेरे यार की खुदा से कम नहीं..बहुत खूब !

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