Sunday, 16 September 2012

ऐसा आदमी या तो योगी या कवि होता है

हर्ष का अतिरेक जब हद से गुजर जाये,
आनंद से ही आदमी जब मर जाये.

नीरवता में भी जहाँ हर्ष का शंखनाद हो,
रंध्र-रंध्र में गुम्फित अमर प्रकाश हो.

अम्बर भी जिसके अवसान पर रोता है,
ऐसा आदमी या तो योगी या कवि होता है.

खोलता नित्य द्वार मन के, ….. मिलता ,
भर बांहों में खेलता, …संग पिया
चढता नित्य सोपान परितोष के
जन जन में फूकता है, प्राण नया .

पहनाकर तुफानो को घुँघरू,
नचाता है इशारों पर,
दिल में जो आये लुट जाये
बहारों पर, नजारों पर.

परिवर्तन हेतू, क्रांति का संवाहक होता है,
संस्कृति को छोड़कर पीछे, जब
बढ़ जाती है पीढियां आगे, तब,
संस्कृति को अपने कन्धों पर ढोता है.
ऐसा आदमी या तो योगी या कवि होता है.

............................नीरज कुमार नीर  
                  neeraj kumar neer

1 comment:

  1. वाह ! बहुत ही सुन्दर ! सच में ,
    ऐसा आदमी या तो योगी या कवि होता है.
    बहुत खूब

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