मृगनयन सी अंखिया तेरी,
सूरत तेरी प्यारी.
कारी बदरिया केश तुम्हारे,
धानी चुनर की साड़ी
संमरमर सी देह तुम्हारी
लचके कमरिया दुधारी.
चन्दन जैसी खुशबू तेरी
मिसरी से मीठी बोली,
छम छम बाजे जब पायलिया
नीरज की नीयत तब डोली.
हाथ में कंगना, नाक नथुनिया
कानो में सोहे कनवाली
सुन ले प्रियतम प्रणय निवेदन,
चाल है तेरी मतवाली .
मृगनयन सी अंखिया तेरी,
सूरत तेरी प्यारी.
कारी बदरिया केश तुम्हारे,
धानी चुनर की साड़ी
………………नीरज
कुमार
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