Friday, 26 October 2012

सफर


कुछ लोग ऐसे होते है,
हवा के साथ चलते हैं.

हम उनमे हैं शामिल,
जो हवा का रूख बदलते है.

कोई रंज नहीं कि
अकेला हूँ राहे सफर में

नई राह बनाने वाले
बिना हमसफ़र चलते है.

मुझे है मालूम कल
मेरे निशाने कदम ढूंढोगे
आज तो हम अकेले सफर चलते हैं.


............नीरज कुमार....

No comments:

Post a Comment

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...