सुरमई आँखों वाली सुन्दर सी इक बाला रे
बचपन की यादों के संग, तेरी याद आती है.
तेरी अधरों की मदिर मुस्कान याद आती है,
मैं मस्त हो जाता था पीकर जैसे हाला रे
सुरमई आँखों वाली सुन्दर सी इक बाला रे
प्रथम प्रीत के वह प्रथम .... सन्देश याद आते हैं,
तेरी मेरी मुलाकात .... पल पल याद आते हैं,
स्मृतियाँ गुंथी हुईं .. जैसे पुष्पों की माला रे
सुरमई आँखों वाली..... सुन्दर सी इक बाला रे.
आम्र कुञ्ज के भीतर, जब तुम मिलने आती थी,
वृक्ष की शाखाएं .....और थोड़ी झुक जाती थी .
वृक्ष भी हो जाता था कुछ शायद मतवाला रे.
सुरमई आँखों वाली .... सुन्दर सी इक बाला रे.
नदी किनारे रेत पर ....महल बनाया करते थे,
हम रहेंगे साथ में, स्वप्न सजाया करते थे.
तुम मेरी घर वाली .. मैं तेरा घरवाला रे.
सुरमई आँखों वाली....... सुन्दर सी इक बाला रे.
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सबसे छुप छुप के मैं जब तेरा हाथ पकड़ता था,
याद है मुझको, जोरों से, दिल मेरा धड़कता था.
तेरा भाई लगता था , मुझको अपना साला रे।
सुरमई आँखों वाली............ सुन्दर सी इक बाला रे.
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गाँव की पगडंडी जिसपर साथ चला करते थे,
आग उगलते जेठ की, परवाह कहाँ करते थे.
तुम मेरी दिलवाली थी , मैं तेरा दिलवाला रे.
सुरमई आँखों वाली ... सुन्दर सी इक बाला रे.
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फागुनी बयार जब भी तुमको छूकर आती थी,
वासंती फूलों की खुशबू , मन को रिझाती थी .
मैं आनंदित रहता था, पीकर प्रेम प्याला रे.
सुरमई आँखों वाली सुन्दर सी इक बाला रे.
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बादलों में चाँद का छुप जाना याद आता है,
शरमा के नयनों का झुक जाना याद आता है.
हर मौसम लगता मन भावन रंग रंगीला रे.
सुरमई आँखों वाली सुन्दर सी इक बाला रे.
...................... #नीरज कुमार ‘नीर’ ...........
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bahut acche sir jee.....kaafi sundar rachna
ReplyDeleteसुन्दर कविता भाई नीर जी आभार
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