Saturday, 3 November 2012

जब भी तुम आती हो


जब भी तुम आती हो,
एक कोमल भाव जगाती हो.
मेरे ह्रदय के चित्र पटल पर
चित्र नए दिखलाती हो.

तेरे नैनों के जादू से
भाव नए भर जाते है.
कैसे भी हो दर्द पुराने,
घाव सभी भर जाते हैं.

चौदहवीं के चाँद सी
नए अनुराग जगाती हो,
मेरे जीवन के मरुस्थल को
गुलशन तुम बनाती हो.

गुमशुम गुमशुम रहने वाला
मेरा दिल भी गाता है.
हाथों में मेरे हाथ लिए
जब तुम गीत सुनाती हो.

एक तेरे आने से जीवन,
खुशियों से भर जाता है.
जीवन के अंधियारे में
जगमग दीप जलाती हो.

जब भी तुम आती हो
जीवन मधुमय हो जाता है.
मेरे उसर ह्रदय प्रदेश में
सुन्दर फूल खिलाती हो.

तुम्हारे गेसुओं से खेलूं
तुम्हे बाँहों में ले लूँ
मेरी धडकनों को छूकर
नए अरमान जगाती हो.
..........नीरज कुमार...

8 comments:

  1. बेहद खूबसूरत और कोमल एहसास की अभिव्यक्ति.....

    अनु

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  2. बहुत आभार अनु जी.

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  3. sundar pyari si kavita :-)

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  4. waah bahoot hi sunder rachana rachi hai.

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    Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया जाया पटेल जी.

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  5. Replies
    1. शुक्रिया , अपना नाम बताकर जाते तो आनंद बढ़ जाता.

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  6. सुन्दर भाव..... बधाई

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