ज्यादा ठण्ड में नदी
जम जाती है,
मैं भी जमा रह बरसों
तुमसे मिलकर मैं
पिघलने लगा,
तुम्हारी बांहों में
आकर
उड़ गया वाष्प बनकर,
कर्पूर की तरह
अस्तित्वहीन हो गया
आनंद की अस्सीमता
में
दर्द अक्सर खो जाता
है,
फिर फूल मुरझाएंगे
वृक्ष पत्रहीन हो
जायेंगे
नदी जम जायेगी
वसंत हमेशा तो
नहीं रहता,
...... नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
बढ़िया है आदरणीय-
ReplyDeleteशुभकामनायें स्वीकारें ||
शुक्रिया रविकर जी.
Deletesundar rachna neeraj ..ye rajkumar ka sukh hai iska arth nahi samjhi
ReplyDeletemeri nai post par tumhara swagat hai
recent post Os ki boond: उम्मीदें ....
शुक्रिया पंखुरी . राजकुमार का सुख है, इसका अर्थ यह है कि " कोई "मेरे नसीब में नहीं और वो जिसके नसीब में है, वो तो कोई राजकुमार ही होगा.
Deleteआनंद की अस्सीमता में
ReplyDeleteदर्द अक्सर खो जाता है...सही कहा आपने..
बहुत बढ़िया ...
बहुत शुक्रिया कविता जी.
Deleteअसीम आनंद दर्द को भुला देता है .....बसंत सदा तो नहीं रहता ....बहुत सटीक .....इसके साथ ही "तुम्हारी बाहें बहुत कोमल हैं"....इस बात का द्योतक कि बसंत ना भी हो ...तुम साथ हो तो ....सुख भी संग है .....बहुत भाव-प्रण
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया.
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteजीवन में कहाँ सब एक सा रहता है !! शानदार तुलना ! शानदार अभिव्यक्ति कविवर नीरज जी
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