मैं रहा और रही मेरी
तन्हाई तेरे जाने के बाद,
साँसों में लिपटी
तेरी याद आई तेरे जाने के बाद.
सब आये अंजुमन में,
खूब रौनक भी रही ,
मैं ही नहीं मिला
किसी से, तेरे जाने के बाद.
मेरी भी मुलाकात
मुक़र्रर थी , सुबह की धूप से,
हिज्र की शब ही नहीं
गुजरी, तेरे जाने के बाद.
..................नीरज
कुमार “नीर”
(हिज्र की शब :
जुदाई की रात)
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
आभार भाई -
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति पर ||
बहुत आभार रविकर जी,
Deletebahut sundar bhavnaatmak rachna ....
ReplyDelete--parul
neeraj ji bahut anand aata hai aapki kavitaon ko padh kar ...bahut bahut subhkaamnaein..aapko
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया चंदर जी, आपका सहयोग हमेशा अपेक्षित है.
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