Saturday, 16 February 2013

तेरे जाने के बाद



मैं रहा और रही मेरी तन्हाई तेरे जाने के बाद,
साँसों में लिपटी तेरी याद आई तेरे जाने के बाद.
                 
सब आये अंजुमन में, खूब रौनक भी रही ,
मैं ही नहीं मिला किसी से, तेरे जाने के बाद.

मेरी भी मुलाकात मुक़र्रर थी , सुबह की धूप से,
हिज्र की शब ही नहीं गुजरी, तेरे जाने के बाद.

..................नीरज कुमार “नीर”
(हिज्र की शब : जुदाई की रात)
#neeraj_kumar_neer

5 comments:

  1. आभार भाई -
    सुन्दर प्रस्तुति पर ||

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    1. बहुत आभार रविकर जी,

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  2. bahut sundar bhavnaatmak rachna ....
    --parul

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  3. neeraj ji bahut anand aata hai aapki kavitaon ko padh kar ...bahut bahut subhkaamnaein..aapko

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    Replies
    1. बहुत शुक्रिया चंदर जी, आपका सहयोग हमेशा अपेक्षित है.

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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