सपने अक्सर झूठे होते हैं.
मैने झूठ बेचकर सच ख़रीदा है.
सच अपने बूढ़े माँ बाप के लिए,
सच अपने बीवी बच्चों के लिए,
मैने सपने बेचकर खरीदी हैं रोटियां.
सपने सहेजे नहीं जा सकते,
मैं सहेज कर रखता हूँ रोटियाँ,
पेट भरा हो तो नींद गहरी आती है.
गहरी नींद में सपने नहीं आते
मैं नींद में गहरे सोता हूँ.
क्योंकि मैने सपने बेचकर खरीदी हैं रोटियां.
............. नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
बेहतरीन अभिव्यक्ति. बहुत अच्छा लिखा है आपने.
ReplyDeleteबेहतरीन बहुत उम्दा अभिव्यक्ति,,,सुंदर रचना ,,,नीरज जी,,,
ReplyDeleteRecent post : होली की हुडदंग कमेंट्स के संग
जीवन का सबसे बड़ा सच ही हैं ये रोटियां...गहन भाव...
ReplyDeleteप्रभावशाली कलम ...
ReplyDeleteबधाई भाई !
खुबसूरत रचना
ReplyDeleteLATEST POST सुहाने सपने
my post कोल्हू के बैल
बहुत प्रभावी ... आज यही हो रहा है ... सपने बेच के भी कई बार एक समय की रोटी नहीं मिलती ...
ReplyDeleterotiyon ke liye sapne becjne hi padte hain.
ReplyDeletesach kaha aapne. aaj bahut se log hain jinhe rotiyon ke liye sapne bechane hi padte hain.
ReplyDeleteभावुक रचना...शायद सभी के मन के भावों को आपने शब्द दिये हैं
ReplyDeleteआपकी यह रचना दिनांक 07.06.2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ पर लिंक की गयी है। कृपया इसे देखें और अपने सुझाव दें।
ReplyDeletesapne bech kar kharidi hai rotiyan.........wah:)
ReplyDeleteBahut Badiya. . .
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