मधुमय प्रीत तुम्हारी प्रिय, तुम रसवंती हाला,
मैं भंवरा गुन गुन गुंजन, मधु रस पीने वाला.
पूर्णिमा की तुम पूर्ण विधु सी
तुम सुन्दर लगती नव वधु सी.
मैं हूँ जन्म जन्म का प्यासा
और यौवन तेरा मधुशाला
मधुमय प्रीत तुम्हारी प्रिय,
तुम रसवंती हाला ........,
जेठ की तपती दुपहरी में
तुम हो वृक्ष इक घना साया .
मैं इक राही दूर देश का
तनिक देर सुस्ताने वाला.
मधुमय प्रीत तुम्हारी प्रिय,
तुम रसवंती हाला...........,
पीत कंचन बदन तुम्हारा,
और हँसी खनक संगीत सी,
जलद समान अलक तुम्हारे, ....
हैं जलधी नयन विशाला. .....
मधुमय प्रीत तुम्हारी प्रिय,
तुम रसवंती हाला,
......... नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer
शब्दार्थ :
…. (हाला : शराब)
विधु: चन्द्रमा
पीत कंचन : पीले सोने सा
जलद : बादल,
अलक : केश
जलधी : सागर
चित्र गूगल से साभार
#neeraj_kumar_neer
शब्दार्थ :
…. (हाला : शराब)
विधु: चन्द्रमा
पीत कंचन : पीले सोने सा
जलद : बादल,
अलक : केश
जलधी : सागर
चित्र गूगल से साभार
sundar geet
ReplyDeleteवाह, प्यारा गीत।
ReplyDeleteआहा ये काव्य हाला पी कर मन आनंदित हो गया.
ReplyDeleteगज़ब की काव्य हाल ...
ReplyDeleteमज़ा आ गया सभी छंद पढ़ के ... रस छलक रहा है ...
बहुत उम्दा,लाजबाब सुंदर गीत ,
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
बहुत भावपूर्ण गीत प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अनुभूति : विविधा -2
प्रेम मय हो कर प्रिय का वर्णन ...अति सुंदर
ReplyDeletebahut sunder ............geet
ReplyDeleteप्रेम भाव से पूर्ण सुन्दर, लाजवाब
ReplyDeleteसाभार!
sundar abhivykti!
ReplyDeleteउम्दा ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर !!
ReplyDeleteदीपावली कि हार्दिक शुभकामना
मित्र !शुभ दीपावली !!आशा है कि आप सपरिवार सकुशल होंगे |
ReplyDeleteसुन्दर रचना !!माधुर्य पूर्ण !!
प्रेम के रस से सराबोर बेहद खूबसूरत गीत
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