Sunday, 2 June 2013

अवतार अब जरूरी है.

जब जीना मरने से मुश्किल लगे
अवनत स्वाभिमान प्रतिपल लगे
जब आगे बढ़ने की कोई चाह नहीं
व्यूह से बाहर की कोई राह नहीं

जब कोई बोले मीठे बोल नहीं
शोणित का जब कोई मोल नहीं
जब लहू का स्वाद मीठा लगे
अपनों का विश्वास झूठा लगे .

विजय पताका वाले हाथों में
जब भीख का कटोरा हो
राजमहल के कंगूरों पर
चढ़कर जब कोई रोता हो .

जब काबिल के घर फाका हो
जब मेधा पर पड़ता डाका हो
जब शांति हो नगर में
श्मशानों में हो कोलाहल
सीधे साधे प्रश्नों का
जब मुश्किल होता हो हल .

ऐसे ही अवसानो में
जब तूती बजती नक्कारखानों में
थाम काल का चक्र घुमाता है
आता है जग को नयी दिशा दिखाता है.
ढोता है कन्धों पर परिवर्तन का जुआ
ऐसा ही युग पुरुष अवतार कहलाता है

अवतार होते नहीं अवतरित
अवतरित होते है उनमे गुण
गुण जो होते है महामानवीय
जो प्राप्य है त्याग और तपस्या के बल पर.
गुण जो बनाते है किसी को
राम और कृष्ण , देते है नाम
किसी को बुद्ध का.
मेरे मन में है एक यक्ष प्रश्न
क्या वक्त नहीं आया
एक अवतार का ??




 ........... नीरज कुमार ‘नीर’
#neeraj_kumar_neer 

14 comments:

  1. behatareen bhao ka khoobshurat sanyojan ,kabile tarif

    ReplyDelete
  2. abhi dilli door hai ..बहुत सार्थक सन्देश देती प्रस्तुति . .आभार . ''शादी करके फंस गया यार ,...अच्छा खासा था कुंवारा .'' साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN

    ReplyDelete
  3. जीवन जीने की सत्यता को उजागर करती रचना
    बहुत खूब
    गजब की अनुभूति

    आग्रह है पढें,मेरे ब्लॉग का अनुसरण करें
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.in

    ReplyDelete
  4. हालात ऐसे हों तो अवतार जरूरी है. निस्संदेह! सुन्दर रचना.

    ReplyDelete
  5. आज आवश्यकता अधिक है,
    बना हर रस्ता बधिक है,

    ReplyDelete
  6. निस्संदेह!बहुत ही सुन्दर रचना.,,,बधाई

    recent post : ऐसी गजल गाता नही,

    ReplyDelete
  7. बिलकुल समय आ गया है नए अवतार का ... वो भी भारत भूमि में ...
    सुन्दर रचना है ...

    ReplyDelete
  8. शुभकामनायें आशाओं को !!

    ReplyDelete
  9. बहुत ही सुंदर रचना .....प्रश्न भी बहुत वाजिब है ...'अब भी नहीं तो कब?'

    ReplyDelete
  10. आपसे पूर्णत: सहमत ..

    ReplyDelete
  11. पुराने अवतार फिर से
    नये अवतार बनकर आ जायें तब भी
    वह स्वयं के पूर्व में बनाये पुराने नियम में परिवर्तन नहीं कर सकते ।
    उन्हे स्वयं के पूर्व अवतार के अनुयायी द्वारा प्रताडि़त किया जायेगा ।
    अवतार सभी के लिए गुणवान नहीं हो सकता वि-िभन्न लोग वि-िभन्न गुणों की अपेक्षा रखेंगे

    बेचारा अवतार, अवतार नहीं
    वैज्ञानिक की लैब का चूहा मेंढक बनकर
    प्रेस कान्फ्रेस में माथा पच्ची करके
    नेताओं की समस्या को सुनकर
    वकीलों से जिरह करता हुआ
    अपना जीवन गुजार देना

    ReplyDelete
  12. हम नेताओं में अपने कर्णधारों को ढूँढते हैं। पर आज के युगपुरुष आपकी चेतना को आंदोलित कर सकते हैं पर अलख तो हर व्यक्ति को अपने भीतर जगाना है। अन्ना हजारे का हस्र तो आप देख ही रहे हैं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी कविता का मूल भाव यही है, अवतार होते नहीं अवतरित, अवतरित होते हैं उनमे गुण, से मेरा तात्पर्य यही है कि हर व्यक्ति में इस गुण के अवतरित होने और उसके अवतार बनने की सम्भावना समाहित है, इसे हासिल किया जा सकता है, त्याग और तपस्या के बल पर.

      Delete
  13. बहुत खूबसूरत रचना, शानदार

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...