नन्हे अब्र को सूरज निगलते देखा है ,
हौसला हो अगर मुकद्दर बदलते देखा है,
जूनून हो पक्का तो मुश्किल कुछ भी नही ,
मैंने पानी में पर्वत पिघलते देखा है .
(अब्र : बादल)
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घावों पे लगाने को मरहम काम आता है
राह में भटके तो रहबर काम आता है
किस किस से छुपाऊँ राज –ए- दिल हमदम
मेरी हर सांस पर तुम्हारा नाम आता है .
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चाँद को देखा तो पाने को जी चाहा,
गुलों को देखा तो छूने को जी चाहा ,
चाहत पर काबू किसका चला है भला,
तेरी होठों से मय पीने को जी चाहा .
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कोई याद करता है आपको भला कैसे बताएगा,
आप मर जायेंगी , इल्जाम हिचकियों पे जाएगा.
भर देगा याद में अश्कों का समन्दर रो रो
के,
पानी खारा होगा, इल्जाम सिसकियों पे जाएगा.
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तकदीर हो बिगड़ी तो तदबीर नहीं बनती
हर ख्वाब की एक सी ताबीर नहीं बनती .
दुआ दुआ में भी कुछ फर्क होता है,
हर दुआ की एक सी तासीर नहीं बनती.
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....................नीरज कुमार 'नीर'
चित्र गूगल से साभार
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चित्र गूगल से साभार
ब्लाग प्रसारण से आपके ब्लाग तक पहॅुचा बहुत ही उम्दा रचनायें आपकी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
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bahut hi khoobsurat khyaal ....
ReplyDeleteहौसला हो अगर मुकद्दर बदलते देखा है
ReplyDeleteसच है!
Kya Baat, Kya Baat, Kya Baat !!!bahut hi khoobsurat
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
क्या कहने....
ReplyDeleteलाजवाब लाजवाब लाजवाब.....
:-)
दमदार क्षणिकायें..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं नीरज जी !!
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत !!
ReplyDeleteबढिया मुक्तक ।
ReplyDeleteखुबसूरत अभिवयक्ति...... .
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत
ReplyDeleteनीरज जी ..क्या खूब लिखते हैं आप ....
ReplyDeleteकोई याद करता है आपको भला कैसे बताएगा,
आप मर जायेंगी , इल्जाम हिचकियों पे जाएगा.
भर देगा याद में अश्कों का समन्दर रो रो के,
पानी खारा होगा, इल्जाम सिसकियों पे जाएगा.
मैं क्या लिखूं कोई भी टिपण्णी ..सिर्फ आपके लिखे हुए का आनंद ही ले सकता हूँ ...मेरे कंप्यूटर की key board में शायद वो अक्षर ही नहीं हैं जिस से मैं कोई टिपण्णी कर सकूँ ..बस इसी खूबसूरती से लिखते रहिये और आप पर ऊपर वाले की आशीषों की बारिश होती रहे .........
सारे ख़याल अपने आप में बेमिसाल हैं बहुत ही सुन्दर रचना बनी है.
ReplyDeleteदुआ दुआ में भी कुछ फर्क होता है,
ReplyDeleteहर दुआ की एक सी तासीर नहीं बनती.
बहुत अर्थपूर्ण पंक्ति है, जिसकी दुआ कबूल ना हो वही समझ सकता है ये बात
लग रहा है कोई खज़ाना खोज लिया है मैंने शानदार और अनूठी रचनाओ का ! बहुत बहुत शुक्रिया कविवर , इतना गहरा और इतना विस्तृत काव्य प्रस्तुत करने के लिए !!
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