Saturday 17 August 2013

सूरज के घोड़े


सूरज के घोड़े चलते हैं निरंतर,
इस कोने से उस कोने तक ताकि
प्रकाश फैले कोने कोने में.
लेकिन घोड़ों के घर ही में रहता है अँधेरा.
प्रकाश उनसे ही रहता है दूर.
लेकिन उन्हें बोलने की इजाजत नहीं  
मांगना उन्हें वर्जित है
घोड़े के मुंह में लगा होता है लगाम
उन्हें रूकने, हांफने और सुस्ताने की भी इजाजत नहीं
उन्हें बस चलते रहना है ताकि सूरज चल सके
निरंतर, निर्बाध.
डर है, रुके तो हिनहिना उठेंगे .
उनके आँखों पर लगी होती है पट्टी
ताकि वे देखें सीधा .
अगल बगल की सुन्दरता , रंग बिरंगी तितलियाँ,
उन्हें यह सब देखने की इजाजत नहीं है.
उनका तो काम है चलना, आगे सीधी राह में.
उन्हें चलना है सीधे , बगैर इधर उधर देखे.
बगैर ज्यादा की इच्छा के ताकि प्रकाश फैला रहे.
डर है कि इधर उधर देखा तो हिनहिना उठेंगे.
उनके मुंह पर लगी है जाबी
उन्हें बोलने की इजाजत नहीं है.
डर है  बोला तो हिनहिना उठेंगे ..
घोड़ों के हिनहिनाने से फ़ैल जायेया अँधेरा
उनके घरों में,  जो कभी नहीं बने घोड़े.
घोड़े होते हैं विभिन्न रंगों के
श्वेत, श्याम ,
छोटे घोड़े , बड़े  घोड़े  
दलित,  पिछड़े, आदिवासी और सवर्ण घोड़े ..

.......................... नीरज कुमार ‘नीर’ 
चित्र गूगल से साभार .

13 comments:

  1. बहुत ही प्रभावी रचना. बिलकुल सच कहा है आँख पर पट्टियां और मुंह पर ताज़ीरें .....फिर हांकते रहो.

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  2. सुन्दर रचना नीरज जी !

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  3. बहुत सुंदर प्रभावी रचना,,,बधाई नीरज जी ...
    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

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  4. दौड़ रहे थे, दौ़ड़ रहे हैं,
    फिर दौड़ेंगे, सुबह हो गयी।

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  5. बस आज घोड़ों का इस्तमाल किया जा रहा है
    घोड़े की कौन सोचता है
    बहुत से चीजों से जुड़ता हुआ घोड़ा
    बेहतरीन, गहन भाव

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!

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  7. सार्थक भाव लिए हुए बहुत ही बेहतरीन रचना !!

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  8. गहन अभिवयक्ति......

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  9. बेहतरीन ... प्रभावी अभिव्यक्ति ... इन घोड़ों का चलना सदियों से जारी है समाज में ... पर बदलाव की चिंगारी भी जल उठी है ... अब होड़ है समय और घोड़ों की रफ़्तार में ...

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  10. सुन्दर और बेहतरीन रचना...

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  11. बढिया प्रस्तुति ...

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  12. अंधेरों में रास्ता बनाये घोड़े और उजाले हो गये केवल सूरज के नाम .....युगों से चलती आई है ये कहानी

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