मैं जो दर्द अनुभव करता हूँ , जो दुःख भोगता हूँ, जिस आनंद का रसपान करता हूँ , जिस सुख को महसूस करता हूँ, मेरी कवितायें उसी की अभिव्यंजना मात्र है ।
वाह बहुत ख़ूब
बहुत सुंदर रचना ! नीरज जी.
बहुत ही सशक्त ...प्रभावशाली रचना...!!!!!
सटीक प्रस्तुति- आभार भाई जी--
बिलकुल ठीक कहा आपने.
कड़वा सच कहा है आपकी इस रचना ने।। नई कड़ियाँ : मेरी भोपाल यात्रा (पहला दिन) - श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, भोपाल
बहुत ही ससक्त और बोलते रचना चित्र ........
wahh ..gajab ki avivyakti अब चाँद के संग नहीं आएगालाल आँखें लिएभय का महिषासुरकभी कभी अच्छा होता हैअसरजहरीली शराब का ..
दिल को चीरती हुई निकलती है रचना ... अर्थपूर्ण ...
जब कोई इतने दर्द देता हो तब ................ जहरीली शराब का असर काम करना भी जरुरी है ! दिल तक चोट करते शब्द नीरज जी
लाखों बह गए इस बोतल के पानी में,जिसने पी शराब न उभरे जिंदगानी में!शराब व्यसन पर सुन्दर रचना साभार! आदरणीय नीरज जी!धरती की गोद
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.
वाह बहुत ख़ूब
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ! नीरज जी.
ReplyDeleteबहुत ही सशक्त ...प्रभावशाली रचना...!!!!!
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार भाई जी--
बिलकुल ठीक कहा आपने.
ReplyDeleteकड़वा सच कहा है आपकी इस रचना ने।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : मेरी भोपाल यात्रा (पहला दिन) - श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, भोपाल
बहुत ही ससक्त और बोलते रचना चित्र ........
ReplyDeletewahh ..gajab ki avivyakti
ReplyDeleteअब चाँद के संग नहीं आएगा
लाल आँखें लिए
भय का महिषासुर
कभी कभी अच्छा होता है
असर
जहरीली शराब का ..
दिल को चीरती हुई निकलती है रचना ... अर्थपूर्ण ...
ReplyDeleteजब कोई इतने दर्द देता हो तब ................ जहरीली शराब का असर काम करना भी जरुरी है ! दिल तक चोट करते शब्द नीरज जी
ReplyDeleteलाखों बह गए इस बोतल के पानी में,
ReplyDeleteजिसने पी शराब न उभरे जिंदगानी में!
शराब व्यसन पर सुन्दर रचना साभार! आदरणीय नीरज जी!
धरती की गोद