Wednesday, 13 November 2013

परिवार और परंपरा


मोटी जड़ वाला बरगद का घना पेड़ 
बचाता रहा धूप  और पानी से 
जेठ की तपती दुपहरी में भी
भर देता शीतलता भीतर तक
निश्चिन्तता के साथ आती खूब गहरी नींद 
बरगद से निकल आयी अनेकों जड़ें 
थाम लेती  फैलाकर बाहें 
हर मुसीबत में,  और देती  उबार 
बरगद को चढ़ाते है लाल सिंदूर 
और बांधते है धागे एकता के 
बरगद के साथ अपनी एकात्मता जताने के लिए 
लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
बरगद की जगह लगा रहें है 
बोगन वेलिया के फूल .
#neeraj_kumar_neer 
..... नीरज कुमार ‘नीर’

16 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय नीरज जी-
    बधाई -

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  2. लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
    बरगद की जगह लगा रहें है
    बोगन वेलिया के फूल .
    सोचनेवाली बात है .....
    नई पोस्ट काम अधुरा है

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  3. सुंदरता की चाहत में मूक कर्म को कोई देखना नहीं चाहता ....

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  4. आज के इस असवेंदनशील ज़माने में भावनात्मकता लगाव का किसे परवाह ... बहुत अच्छी कविता.

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  5. दुनिया उसी के पीछे भाग रही है जो आँखों को मोह ले. चाहे उस मोहक चीज के अनदर विष ही क्यों ना हो. यही सच है अज का. बहुत अच्छे से व्यथा अभिव्यक्त किया है. सुन्दर रचना.

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  6. आजकल ब्यूटी इस ओनली स्किन डीप.....विडमबना ..!!!

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  7. http://hindibloggerscaupala.blogspot.in/शुक्रवारीय अंक ४४ दिनक १५/११/२०१३ में आपकी रचना को शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद

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  8. सुन्दर भाव लिए रचना |

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  9. आज बड़ी तेजी से जो बदलाव हो रहे है
    शायद ये भी बदलाव उनमे से एक है
    सुन्दर रचना !

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  10. सुन्दर भावों से सजी रचना

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  11. बरगद को चढ़ाते है लाल सिंदूर
    और बांधते है धागे एकता के
    बरगद के साथ अपनी एकात्मता जताने के लिए
    लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
    बरगद की जगह लगा रहें है
    बोगन वेलिया के फूल

    परिवर्तन जीवन का नियम है परन्‍तु कुछ परिवर्तन सोचने को बहुत मजबूर करते हैं उन में से एक आपकी अंतिम पंक्ति में भी है। सभी रचनाएं बहुत भावनात्‍मक ।

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  12. बहुत बढ़िया नीरज भाई , एक अलग सी अनुभूति कराती आपकी रचना , धन्यवाद
    नया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६

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  13. होते होते बोनसाई बन गया बरगद। कहाँ एक भरी पूरी बैनियन लेन ही होती थी।

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  14. समाज की बदलती मानसिकता पर अच्छा कटाक्ष .....
    बोगन वेलिया के फूल और बरगद के बीच तुलना बहुत पसंद आयी ....
    सजावटी शहर में
    अब छाँह न ढूँढिये

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  15. ओह ! खूबसूरत कटाक्ष ! साधुवाद !
    कल लिखा था ---
    रात और मैं

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  16. बरगद के पेड़ विशालता और उपयोगिता का सुन्दर चित्रण. सच है बरगद की जगह खिलने वाले फूल लेंगे, जो सुन्दर तो होंगे पर बरगद से उपयोगी नहीं. अच्छी रचना के लिए बधाई.

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