मोटी जड़ वाला बरगद का घना पेड़
बचाता रहा धूप और पानी से
जेठ की तपती दुपहरी में भी
भर देता शीतलता भीतर तक
निश्चिन्तता के साथ आती खूब गहरी नींद
बरगद से निकल आयी अनेकों जड़ें
थाम लेती फैलाकर बाहें
हर मुसीबत में, और देती उबार
बरगद को चढ़ाते है लाल सिंदूर
और बांधते है धागे एकता के
बरगद के साथ अपनी एकात्मता जताने के लिए
लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
बरगद की जगह लगा रहें है
बोगन वेलिया के फूल .
#neeraj_kumar_neer
..... नीरज कुमार ‘नीर’
सुन्दर प्रस्तुति आदरणीय नीरज जी-
ReplyDeleteबधाई -
लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
ReplyDeleteबरगद की जगह लगा रहें है
बोगन वेलिया के फूल .
सोचनेवाली बात है .....
नई पोस्ट काम अधुरा है
सुंदरता की चाहत में मूक कर्म को कोई देखना नहीं चाहता ....
ReplyDeleteआज के इस असवेंदनशील ज़माने में भावनात्मकता लगाव का किसे परवाह ... बहुत अच्छी कविता.
ReplyDeleteदुनिया उसी के पीछे भाग रही है जो आँखों को मोह ले. चाहे उस मोहक चीज के अनदर विष ही क्यों ना हो. यही सच है अज का. बहुत अच्छे से व्यथा अभिव्यक्त किया है. सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआजकल ब्यूटी इस ओनली स्किन डीप.....विडमबना ..!!!
ReplyDeletehttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/शुक्रवारीय अंक ४४ दिनक १५/११/२०१३ में आपकी रचना को शामिल किया गया हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद
ReplyDeleteसुन्दर भाव लिए रचना |
ReplyDeleteआज बड़ी तेजी से जो बदलाव हो रहे है
ReplyDeleteशायद ये भी बदलाव उनमे से एक है
सुन्दर रचना !
सुन्दर भावों से सजी रचना
ReplyDeleteबरगद को चढ़ाते है लाल सिंदूर
ReplyDeleteऔर बांधते है धागे एकता के
बरगद के साथ अपनी एकात्मता जताने के लिए
लेकिन अब बरगद की जड़ें काटी जा रही है
बरगद की जगह लगा रहें है
बोगन वेलिया के फूल
परिवर्तन जीवन का नियम है परन्तु कुछ परिवर्तन सोचने को बहुत मजबूर करते हैं उन में से एक आपकी अंतिम पंक्ति में भी है। सभी रचनाएं बहुत भावनात्मक ।
बहुत बढ़िया नीरज भाई , एक अलग सी अनुभूति कराती आपकी रचना , धन्यवाद
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: प्रश्न ? उत्तर -- भाग - ६
ReplyDeleteहोते होते बोनसाई बन गया बरगद। कहाँ एक भरी पूरी बैनियन लेन ही होती थी।
समाज की बदलती मानसिकता पर अच्छा कटाक्ष .....
ReplyDeleteबोगन वेलिया के फूल और बरगद के बीच तुलना बहुत पसंद आयी ....
सजावटी शहर में
अब छाँह न ढूँढिये
ओह ! खूबसूरत कटाक्ष ! साधुवाद !
ReplyDeleteकल लिखा था ---
रात और मैं
बरगद के पेड़ विशालता और उपयोगिता का सुन्दर चित्रण. सच है बरगद की जगह खिलने वाले फूल लेंगे, जो सुन्दर तो होंगे पर बरगद से उपयोगी नहीं. अच्छी रचना के लिए बधाई.
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