वसंत का आगमन हो चुका एवं valentine's day आने वाला है तो इस अवसर के लिए विशेष प्रस्तुति :
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
तुम वसंत हो, अनुगामी
जिसका पर्णपात नहीं.
सुमन सुगंध सी संगिनी,
राग द्वेष की बात नहीं.
शब्द अपूर्ण वर्णन को
ईश्वर के वरदान का.
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
विकट ताप में अम्बुद री,
प्रशांत शीतल छांव सी,
तप्त मरू में दिख जाए,
हरियाली इक गाँव की.
कहो कैसे बखान करूँ
पूर्ण हुए अरमान का.
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
मैं पतंग तुम डोर प्रिय,
तुम बिन गगन अछूता है.
तुमसे बंधकर जीवन
व्योम उत्कर्ष छूता है.
तुम ही कथाकार हो, इस
जीवन के आख्यान का.
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
दिवस लगे त्यौहार सा
हर यामिनी मधुमास सी
प्रीति तुम्हारी, उर में
नित नित भरती आस सी
तुल्य नहीं जग में कोई
अनुराग के परिमाण का
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
……. नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
शब्दार्थ :
प्रतिदान : किसी चीज के बदले कुछ देना
अनुगामी : जो पीछे आता है
पर्णपात : पतझड़
अम्बुद : बादल
आख्यान : कथा , कहानी
यामिनी : रात
परिमाण : मात्रा , magnitude
चित्र गूगल से साभार
प्रेम दिवस कि सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDelete:-)
Waah...jitne sunder shabd utne hi komal ehsaas..bahut sunder rachna!! Bahut khub likha hai aapne! :)
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही सुंदर और प्रेममय रचना ....!!
ReplyDeletevery fine poem
ReplyDeleteप्यारी प्रेम प्रतिध्वनियाँ
ReplyDeleteलाजबाब,प्रेममय बेहतरीन प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: पिता
बहुत बढ़िया ......
ReplyDeleteभावो का सुन्दर समायोजन......
ReplyDeleteलाजवाब सृजन. हर पंक्तियाँ प्रेम संतृप्त.
ReplyDeleteशुक्रिया यशवंत जी
ReplyDelete
ReplyDeleteदिवस लगे त्यौहार सा
हर यामिनी मधुमास सी
संग तुम्हारा, उर में
नित नित भरती आस सी
तुल्य नहीं जग में कोई
अनुराग के परिमाण का
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
adbhut .. sundar bhaw ..shubhkamnaye
Prem bhare bhav ki abhivyakti ... Prem mein kaisa uphar jabki prem apne aap mein uphar hai ...
ReplyDeleteसच्ची अनुभूतियां किसी उपहार से बयां नहीं की जा सकती....
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