परिकथा के सितंबर - अक्तूबर 2014 अंक में प्रकाशित
आज सुबह से ही ठहरा हुआ है,
कुहरा भरा वक्त.
न जाने क्यों,
बीते पल को
याद करता.
डायरी के पलटते पन्ने सा,
कुछ अपूर्ण पंक्तियाँ,
कुछ अधूरे ख्वाब,
गवाक्ष से झांकता पीपल,
कुछ ज्यादा ही सघन लग रहा है.
नहीं उड़े है विहग कुल
भोजन की तलाश में.
कर रहे वहीँ कलरव,
मानो देखना चाहते हैं,
सिद्धार्थ को बुद्ध बनते हुए.
बुने हुए स्वेटर से
पकड़कर ऊन का एक छोर
खींच रहा हूँ,
बना रहा हूँ स्वेटर को
वापस ऊन का गोला.
बादल उतर आया है,
घर के दरवाजे पर
मुझे बिठा कर परों पर अपने
ले जाना चाहता है.
एक ऐसी दुनिया में
जहाँ
प्रकाश ही प्रकाश है
जहाँ बादल छांव देता है
अंधियारा नहीं करता.
बगल की दरगाह से
लोबान की महक का
तेज भभका
नाक में घुसकर
वापस ला पटकता है
कमरे की चाहरदीवारी के भीतर ..
दीवार पर टंगी है
तुम्हारी एक पुरानी तस्वीर
जो आज भी लरजती है ख़ुशी से
हाथों में पकड़े मेरा हाथ .
नहीं यशोधरा, मैं नहीं करूँगा
निष्क्रमण.
मैं बढूँगा अंतर्यात्रा पर
पकड़े हुए तुम्हारा हाथ.
मैंने चुना है अरण्य एवं लावण्य के बीच
एक मध्य मार्ग .
.. नीरज कुमार नीर
Neeraj Kumar Neer
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
चित्र गूगल से साभार
Bahut sunder khayaal!!
ReplyDeleteसमय के ठहरे क्षणों में मन बड़ा गतिमान रहता है।
ReplyDeletesundar abhivaykti neeraj ji .badhai
ReplyDeletesundar abhivaykti neeraj ji .badhai
ReplyDeleteशायद जीवन का सही पथ भी यही है...
ReplyDeleteमैं बढूँगा अंतर्यात्रा पर
पकड़े हुए तुम्हारा हाथ.
मैंने चुना है अरण्य एवं लावण्य के बीच
एक मध्य मार्ग .
भावपूर्ण सार्थक रचना. शुभकामनाएँ!
आभार आपका ...
ReplyDeleteजीवन पथ पर ये यादों का ठहराव ..
ReplyDeleteअरण्य एवं लावण्य के बीच
ReplyDeleteएक मध्य मार्ग
भावपूर्ण सार्थक सुंदर.....
ReplyDeleteसुन्दर रचना। सादर।।
ReplyDeleteनई कड़ियाँ : विश्व किस्सागोई दिवस ( World Storytelling Day )
विश्व गौरैया दिवस
सही है यह मध्यमार्ग. आधे-आधे के योग से सम्पूर्णता तलाशती हुई.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (23-03-2014) को "इन्द्रधनुषी माहौल: चर्चा मंच-1560" (चर्चा अंक-1560) में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
अभिलेख द्विवेदी
आभार अभिलेख जी ..
Deleteवाह :)
ReplyDeleteसशक्त भावाभिव्यक्ति बढ़िया बिम्ब बढ़िया रूपकत्व लिए अप्रतिम रचना नए अर्थ और साज़ लिए नया पैरहन लिए 'नीर 'का
ReplyDeleteबहुत सुंदर व शानदार कृति , नीरज भाई धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिन्दी में जानकारियाँ )
सुन्दर रचना
ReplyDeleteNice blog
ReplyDeleteenjoy my blog at drpuneetagrawal.blogspot.in
बहुत ही सुंदर .... वाह
ReplyDeleteआप सबका हार्दिक आभार ..
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