तेरी याद का बादल आँखों से बरसता है
वस्ले यार को दीवाना दिल तरसता है॥
हो जायेगा फ़ना जुदाई की आंच में तपकर
मोम का एक पुतला है गरमी में पिघलता है ॥
इश्क की दुनियां का कायदा ना पूछिए
दीवाना सूरज यहाँ पच्छिम से निकलता है ॥
मुहब्बत में रोना बहुत होता है नीरज
इश्क का दरिया समन्दर से निकलता है ॥
अंधेरे की आदत है शिकायत नहीं कुछ भी
जुगनू की फितरत है अंधेरे मे चमकता है॥
#नीरज_कुमार_नीर
#neeraj_kumar_neer
#gazal दीवाना #deewana #जुदाई
वाह अत्यंत सुन्दर गजल !
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 11 अक्टूबर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteवाह !!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर , आभार !!
वाह…बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल.
ReplyDeleteक्षमा चाहती हूँ भाई नीरज जी
ReplyDeleteपोस्टिंग में गड़बड़ हो गई थी
अब देखिये..... लिंक हाजिर है
सादर
सुंदर ग़ज़ल
ReplyDeletebahut pyari gazal
ReplyDeleteबहुत खूब ... इश्क में डूब कर पूरब क्या पश्चिम क्या ...
ReplyDeleteUmda rachna behad ahsaas ghol diye shabdo me aapne lajawaab !!
ReplyDeleteबेहद सुन्दर रचना है। हृदयस्पर्शी....।
ReplyDeleteवाह क्या खूब लिखा आपने ........अच्छा लगा, दिल को छू लिया!
ReplyDeleteबेहतरीन ग़ज़ल।क्या बात है! बहुत खूब।
ReplyDeleteतेरी याद का बादल आंखों से बरसता है। बहुत ही लाजवाब पंक्तियां।
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