Wednesday, 12 November 2014

सदा शादी से बचना तुम : एक हास्य कविता

सिर्फ हँसने के लिए , अमल करना सख्त मना है :)  :)


अगर मेरा कहा मानो 
सदा शादी से बचना तुम ॥ 

पंख होंगे मगर फिर भी 
कभी तुम उड़  ना पाओगे 
मुंह के बल गिरोगे और 
सदा धरती पे आओगे
सुनहरा जाल है शादी 
कभी इसमे ना फंसना तुम ।

कभी शॉपिंग, कभी मूवी,
रेस्टोरेन्ट रोजाना 
कभी सर्दी, कभी खांसी 
कभी हेडेक का बहाना 
बड़े होते इनके नखरे
इनसे बच के रहना तुम॥  

कभी चौका , कभी बर्तन,
कभी कपड़े भी धोओगे 
पकड़कर हाथ से माथा 
बार बार रोओगे 
मुसीबत चीज है बीबी 
कभी घर न लाना तुम॥  

किसी नाजनीना से 
निगाहें चार कर लोगे
भूले से किसी हसीं से 
बातें दो चार कर लोगे 
होगी ऐसी खिचाई कि 
हँसना भूल जाओगे 
मुहब्बत चीज क्या है, तुम
ये कहना भूल जाओगे 
आजादी बड़ी नेमत है 
इसको न खोना तुम।    

अगर मेरा कहा मानो 
सदा शादी से बचना तुम 

 (c)  ...... #नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer

#शादी #shadi #biwi #मुहब्बत #love #hasyakavita  #हास्य_कविता  

5 comments:

  1. आपबीती तो नहीं लिख दी नीरज जी ... हा हा ... मस्त लाजवाब रचना है ...

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  2. बढ़िया है बहुत बढ़िया है !

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  3. अच्छी लगी रचना. बात तो सही लिखी है :)

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  4. life me hasne ke liye bhi kuch hona chahiye

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