प्यारे मित्रों आप सभी को गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें। आज हमारा देश लोकतन्त्र की एक अप्रतिम मिसाल है । देश में एक नवीन ऊर्जा की अनुभूति की जा रही है । देश का युवा परिवर्तन चाहता है एवं वह पीछे की बातों को छोड़ कर आगे की ओर देखना चाहता है। गणतन्त्र दिवस के पावन अवसर पर इन्हीं विचारों को आत्मसात करती हुई प्रस्तुत है यह कविता । आशा करता हूँ आपको अच्छी लगेगी।
अपनी टिप्पणी देना नहीं भूलिएगा ........ यह कविता आज 26/01/2015 के दैनिक जागरण में भी प्रकाशित हुई है :
लोक तंत्र के विस्तीर्ण क्षितिज पर
नया विहान आया है ।
तम का आवरण हटा
छाई है नवीन अरुणाई
जन जन ने देश प्रेम की
ली नई अंगड़ाई
बढ़ा भारत युवा
राष्ट्र प्रेम से सना
हर कंठ फूंटे स्वर
नव गान गाया है।
स्वाभिमान से संपृक्त
विश्व की सबल शक्ति हम
आरूढ़ मंगल यान पर
अब नहीं किसी से कम
लेकर ध्वजा राष्ट्र प्रेम की
आगे हम बढ़ें
विश्व शक्ति बनने का
अवसर महान आया है।
लोक तंत्र के विस्तीर्ण क्षितिज पर
नया विहान आया है।
....... नीरज कुमार नीर / 24/01/2015
neeraj kumaar neer
सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति........... गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये।
ReplyDeleteसत्यका शरीर बना, ईश्वर सत्य है मै और मेरा सिर्फ ईश्वर ही महशूस करवाता है बस इतना सत्य ईश्वर तत्व में हमे मिला देता है। मैँ स्वयं परम्आत्मा है जिसका ही आदर्श वाक्य तत्व को मशले तो ते तूं महावाक्य अहम् ब्रह्मास्मि होता है।
ReplyDeleteनया विहान आया है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ओज़स्वी रचना आज के दिन को सार्थक करती ...
आपको भी इस दिवस की शुभकामनायें ...
सकारात्मक उर्जा से भरी हुई अच्छी कविता।
ReplyDeleteहाँ वास्तव में वैश्विक परिप्रेक्ष्य से देखा जाय तो भारत के अवसर भी सुनहरा है और जिम्मेदारियाँ भी उतनी ही.
ReplyDeleteआपने तो मेरे ब्लाग से किनारा ही कर लिया। पर मैं नहीं करूंगी क्योंकि ऐसा करने से ब्लागिंग पर असर पड़ता है। पूर्व के सहयोग के लिए धन्यवाद। बाय..बाय..।
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