जो कहा है वही होगा क्या
भूख का हल अभी होगा क्या?
था कहा आएंगे दिन अच्छे
अच्छे दिन में यही होगा क्या ?
देश आएगा क्या धन काला
घर में दूधौ दही होगा क्या?
मर्जी मन की चलेगी या फिर
कोई खाता बही होगा क्या?
क्या हुआ आसमानी वादों का
प्रश्न का हल कभी होगा क्या?
कुर्सी पर आके भूले वादे
जो हुआ फिर वही होगा क्या ?
कोयले की दलाली कर के
हाथ काला नहीं होगा क्या ?
................. नीरज कुमार नीर ....
neeraj kumaar neer
बहुत खूब ... हर शेर सवाल करता हुआ है ...
ReplyDeleteमस्त ग़ज़ल है ...
बेहतरीन गजल ...........प्रश्न जायज है!
ReplyDeleteसटीक सवाल उठाये हैं आपने "नीर " साब किन्तु मन कहता है थोड़ा इंतज़ार किया जाए !
ReplyDeletenice
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