(एक बाल कविता )
लाला जी की लाल लंगोट में
खटमल था एक लाल
काट काट कर लाला जी को
उसने किया बेहाल
गोल मटोल लाला जी
गुस्से से हो गए लाल पीला
चिल्ला कर पत्नी को आवाज दी
नाम था जिसका लीला
कहा है कोने में जो रखा
काला मेरा सन्दूक
उसमे मेरे पिताजी की
रखी हुई है बंदूक
बंदूक में वो गोली भरना
दिखे तुम्हें जो पीला
मगर मत छूना गोली
जो बैंगनी है और नीला
और उसको तो कभी ना छूना
जिसका रंग है हरा
सावधानी से काम करो
सुनो मेरा मशवरा
बंदूक निकाल कर लीला
गोली भर कर लायी
लगा खटमल को निशाना
एक गोली चलायी
धम्म से गिरे लाला जी
और लगे चिल्लाने
नौकर चाकर ताऊ बेटा
सबको लगे बुलाने
कौन रंग की गोली भरी
तुमने प्यारी लीला
रंग था उसका काला
बैंगनी या पीला
कहा जो लीला ने सुनकर
उड गए लाला जी के होश
आंखे उल्टी जीभ बाहर और
हो गए वो बेहोश
सुना लीला ने हैरत से
मन उसका घबराया
उसने लाला को नहीं था
अब तक यह बताया
उसे नहीं था रंगो का
थोड़ा सा भी ज्ञान
कौन हरा कौन गुलाबी
थी लाली अंजान
पीली वाली गोली
खटमल मार भगाती थी
नीली वाली गोली
छिपकलियों को डराती थी
लाल रंग की गोली से
चूहे मारे जाते थे
बैंगनी और गुलाबी से
कौकरोच भगाये जाते थे
पर खतरे वाली गोली का
रंग था गहरा हरा
लीला ने डाली थी गोली
जिसमे बारूद था भरा
एक खटमल के फेर में
गयी लाला की जान
है रंगों की पहचान जरूरी
बच्चों लो तुम जान ।
नीरज कुमार नीर
Neeraj Kumar Neer
Neeraj Kumar Neer
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
ReplyDeleteबहुत खूब
बहुत सुन्दर बाल रचना
ReplyDeleteइसलिए तो पढाई जरुरी है
khub
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - बालकृष्ण भट्ट और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteसुन्दर हास्य बाल रचना ... मज़ा आया बहुत ...
ReplyDeletebacche or bade sabhi hans pade .. sunder rachana.
ReplyDeleteवाह, बहुत सुन्दर बाल कविता।
ReplyDeleteसुन्दर बाल रचना
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