Tuesday, 7 January 2014

सर्दी और गरीबन

संवेदन में प्रकाशित 
-------------------

कंपकपायी धरती ठंढ से
पत्थर से पानी निकला 
सिहर  कर आयी चाँदनी
सूरज कम्बल डाल के निकला ....

कपडे गर्म पहन कर टॉमी,
हीटर की गरमी में सोया.
भूख की चादर ओढ़ गरीबन,
ठिठुरा सारी रात न सोया..

सूखे छाती से चिपका नन्हे
थक गया पर दूध ना निकला..

पेट सटाकर घुटनों से
गठरी बनकर पड़ा रहा
पात हीन वृक्ष सरीखा
हिले डुले बिन अड़ा रहा .

बाहर से कड़े  बर्फ सा
भीतर में पानी सा पिघला

सर्द हवा में गीला चाँद,
मुंह चिढाता टेढ़ा चाँद,
माचिस की तिल्ली, बीड़ी का धुंआ,
भूखी आँखों से धुंधला चाँद,

आँखें हुई सफ़ेद,
छुप गया फिर चाँद न निकला ...
#neeraj_kumar_neer 
.. नीरज कुमार नीर 
(बात अगर दिल तक पहुचे तो टिप्पणी के माध्यम से समर्थन अवश्य दें )
#neeraj_kumar_neer 
चित्र गूगल से साभार 

17 comments:

  1. wah bahut sundar.........sarthak prastuti

    ReplyDelete
  2. सुंदर अभिव्यक्ति...
    बहुत सुंदर.. ठंड और ठण्ड से ठूठरते लोगों का .... गरीबी का सुंदर चित्रण ...!!

    ReplyDelete
  3. शुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन

    ReplyDelete
  4. सुंदर चित्रण. कितना दुखद सत्य है.

    ReplyDelete
  5. गरीबी का सुंदर चित्रण,सादर आभार

    ReplyDelete
  6. कविता में जिस तरह से तुलनात्मक विवरण दिया गया है उसे बस दिल से महसूस किया जा सकता है.. कोई भी टिप्पणी उसे व्यक्त करने में असमर्थ होगी!! बहुत ख़ूब!!

    ReplyDelete
  7. ठंढ से ठिठुरते लोगों का सही चित्रण.
    नई पोस्ट : सांझी : मिथकीय परंपरा

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (11-1-2014) "ठीक नहीं" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1489" पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

    ReplyDelete
  9. शुक्रिया राजीव जी

    ReplyDelete
  10. ठिठुरते लोगों गरीबी का सुंदर चित्रण....सुन्दर प्रस्तुति...!!!

    ReplyDelete
  11. बहुत सुंदर पोस्‍ट

    ReplyDelete
  12. शुक्रिया ब्लॉग चिठ्ठा .

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...