Saturday, 14 January 2012

जम्हूरियत

कपड़ों को देखिये मेरा नाम न  पूछिए ,
कपडे ही अब इंसान कि पहचान बन गए .
कल तक चोर उचक्कों में नाम था जिनका,
वे ही आज कल सियासतदान बन गए.
चुपके से घुस आए थे जो मेरे घर में,
सियासत कि मेहरबानी से मेहमान बन गए.
ये जम्हूरियत कि कैसी बाजीगरी है, देखिये!
काबिल न  थे अर्दली के वे ही प्रधान बन गए.
नीरज कुमार नीर 

1 comment:

  1. चुपके से घुस आये थे ………………… मेहमान बन गए !! गज़ब के और सार्थक शब्द

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