वो सोते रहे उम्र भर फूलों की सेज पर,
हमने बस फूलों की बात की तो बुरा मान गए .
उन्हें तरस नहीं आता मेरे हालात पर ,
लेकिन हम उनकी खुशी में ना हँसे, तो बुरा मान गए .
हम रोते रहे उनकी छोटी सी चोट पर,
पर जो अपने घाव दिखाए तो बुरा मान गए.
चाँद , सितारे, कलियाँ , फूल सब तुम्हारे लिए,
हमने काँटों से दिल लगाया तो बुरा मान गए
फूलों की खुशबू पर सभी का हक है ,
हमने बस फूलों को निहारा तो बुरा मान गए .
चाँद तारों की कहाँ थी ख्वाहिश हमे,
एक टुटा सा तारा चाहा, तो बुरा मान गए .
ज़माने की सारी खुशियाँ थी उनके वास्ते
हमने अपने जीने की वजह मांगी तो बुरा मान गए.
............ नीरज कुमार नीर
kya khoobsurati se aapne in shabdon ko piroya hai... maja aa gaya...
ReplyDeleteThanks Suraj.
ReplyDeleteमेरी एक सलाह है ... ऐसे लोगों से दूर ही रहिये...जो छोटी छोटी बातों पे बुरा मान जाते है....वैसे क्या लिखा है आपने जितनी भी तारिफ करुं कम लगता है...
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ReplyDeleteहमने काँटों से दिल लगाया तो बुरा मान गए
फूलों की खुशबू पर सभी का हक है ,
हमने बस फूलों को निहारा तो बुरा मान गए
बहुत बढ़िया