श्याम , मनोहर , गिरधारी
कब आओगे बनवारी .
कुञ्ज गलिन में ढूंढा
तुमको
ढूंढा  यमुना किनारी..
श्याम , मनोहर , गिरधारी
कब आओगे बनवारी
माधव, केशव, मुरलीधारी,
कब आओगे बनवारी 
गोकुल वन में ढूंढा
तुमको
ढूंढा द्वारी द्वारी 
गोविंद , गोपाल,  प्रिय मुरारी
कब आओगे बनवारी 
कदम्ब गाछ पे ढूंढा
तुमको
ढूंढा हर नर नारी 
राधा रमण , बांके बिहारी
कब आओगे बनवारी 
श्याम , मनोहर , गिरधारी
कब आओगे बनवारी
   नीरज कुमार ‘नीर’
 
 
बहुत सुन्दर ....
ReplyDeleteकृष्णमय रचना मन को भा गयी....
सादर
अनु
आपका बहुत आभार अनु जी, आते रहियेगा.
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