बारिश के कच्चे रास्तों सी
फिसलन भरी,
प्रतिक्षण गिर जाने का भय
कीचड़ से सनी सोच, लथपथ
और फिर हुई बारिश
धुआंधार
तुम्हारे प्रेम की बारिश में
नहा गया मैं
और साथ ही सारा परिवेश
मेरे इर्द गिर्द ,
अब सबकुछ साफ़ है
सुन्दर, इन्द्रधनुष की तरह.
#neeraj_kumar_neer
नीरज कुमार 'नीर'
#Hindi_poem #hindi_kavita
beutiful
ReplyDeleteLovely lines Neeraj
ReplyDeleteसुंदर भाव .
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