पल्लवित सुमन,
मधुप
बौराया,
धरा का आँचल
श्रृंगार मनोरम,
वसंत रचाया.
स्निग्ध हृदय
मुग्ध चेतन
दृश्य मनोहर खीचे
बरबस नयन
स्पर्श जादूगर का
इंद्रजाल फैलाया
शीतल समीर मंद
विदीर्ण उर,
भरे आनंद
चित्रकार ने
सुन्दर चित्र बनाया
तुम आये तो
मौसम में
भरा रंग
तुम आये तो
आया देखो वसंत .
जीवन पथ के क्लांत
पथिक में
नव उत्साह समाया
पल्लवित सुमन,
मधुप
बौराया,
धरा का आँचल
श्रृंगार मनोरम,
वसंत रचाया.
................. नीरज कुमार ‘नीर’
शब्दार्थ :
मधुप : भौरा
स्निग्ध : प्रेममय,
स्नेह युक्त
विदीर्ण : टूटा हुआ
क्लांत : थका हुआ
Bahut sundar chitran vasant ka kisi ke aane bhar se to patjhad bhi vasant ho jaye ..khoobsurat abhivyakti :-)
ReplyDeleteBahut shukriya Parul. Haan agar aane wala waisa ho to har mausam vasant ho jaye. Protsahit karne ke liye shukriya
Deleteवसंत का सुन्दर चित्रण ..
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया कविता जी.
DeleteWaah! Bahut sunder..Bilkul kisi painting ko aapne lafzon mein qaid kia Jaise...!! Aapki baki rachnayein bhi bahut achhi lagi Neeraj ji!
ReplyDeleteहमेशा की तरह सुंदर रचना !
ReplyDeleteवसंत आगमन का सुन्दर शब्द्चित्रण। बधाई।
ReplyDeleteसब कुछ उन के आने से ही तो है ... और फिर वसंत भी साथ हो तो बात ही क्या ...
ReplyDeleteबसंती रंग में रंगी सुन्दर रचना....
ReplyDelete:-)
वसंतागमन के साथ ही सृष्टि में छाये नव उल्लास, उत्साह और श्रांगारिकता का मनोरम चित्रण ! बहुत सुन्दर !
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