आसमां रंग बदलता है,
नीला, धूसर कभी फक
सफ़ेद.
मानो गुजरता है
हर्ष, दुःख और भय की
विभिन्न मनस्थितियों
से.
कभी आग बरसाता है ,
कभी चाँद तारे सजाता,
कभी जार जार रोता,
धार धार आंसू बहाता.
लेकिन आसमां तनहा
नहीं होता,
उसके संग होते है,
समुंदर, नदियाँ,
जमीन
सब रंग बदलते है ,
उसके साथ
जलते हैं, भींगते
हैं, झूमते है.
रंग जाते हैं उसके
ही रंग में.
मेरे मन का आसमान भी
रंग बदलता है
लेकिन होता है तन्हा,
बिलकुल तन्हा.
............ नीरज कुमार नीर
#neeraj_kumar_neer
क्या आपके साथ भी ऐसा कभी होता है?
सुन्दर कृति. मन का आसमान तो अकेला ही रहता है. उसे सपने भी देखने होते हैं उसे पाने के लिए सतत श्रम भी और यह अकेले ही करना होता है.
ReplyDeleteशुक्रिया.
Deleteसुन्दर प्रस्तुति-
ReplyDeleteआभार-
बहुत आभार..
Deleteबहुत खूबसूरत रचना मुझे बहुत पसंद आई :-) mere man ka aasman bhi rang badalta h lekin hai tanha tanha :-)
ReplyDeleteमेरी नई कविता पर आपकी प्रतिक्रिया चाहती हूँ Os ki boond: सिरफिरा फूल ...
शुक्रिया.
Deleteachha laga aapko padhna
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत आभार.
Deleteबहुत खूबसूरती से आपने मन के आसमां का अकेलापन छलकाया है ...वाह
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया
Deletemja aaya ........pdne me MERE MN KA ASMAAN BHI RANG BDLTA H....
ReplyDeleteउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया जनाब प्रसन्न वदन चतुर्वेदी जी.
Delete.एक एक बात सही कही है आपने .सराहनीय अभिव्यक्ति आभार प्रथम पुरुस्कृत निबन्ध -प्रतियोगिता दर्पण /मई/२००६ यदि महिलाएं संसार पर शासन करतीं -अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आज की मांग यही मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ . ''शालिनी''करवाए रु-ब-रु नर को उसका अक्स दिखाकर .
ReplyDeleteशुक्रिया..
Deletebahut sundar aur marmik abhiwakti neeraj jee kya pta aaasman bhi tanha ho ...par hamen nahi lagta ...
ReplyDeleteबहुत आभार आपका.
Deleteसुन्दर रचना नीरज जी..
ReplyDeleteशुक्रिया..
Deleteप्रकृति के रंग हमारे जीवन के रंग जैसे ही हैं ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
साभार !
बहुत आभार शिवनाथ कुमार जी.
ReplyDeleteशुक्रिया . आपको भी महाशिवरात्रि की बहुत शुभकामनायें.
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति... बधाई
ReplyDeleteआभार..
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति ,
ReplyDeleteभीड़ में भी अक्सर हम अकेले
होते हैं ..........
बहुत शुक्रिया अदिति जी
Deleteअति सुन्दर ...
ReplyDeleteबहुत आभार.
Deleteबहुत बहुत खूबसूरत-
ReplyDeleteशुक्रिया राजू.
Deleteसुंदर रचना.
ReplyDeleteलेकिन आसमां तनहा नहीं होता,
ReplyDeleteउसके संग होते है,
समुंदर, नदियाँ, जमीन
सब रंग बदलते है , उसके साथ
जलते हैं, भींगते हैं, झूमते है.
रंग जाते हैं उसके ही रंग में.
बहुत खूबसूरत शब्द नीरज जी