तुम ना होते तो कुछ भी ना
होता.
तुम ना होते तो साँसे ना
होती,
तुम ना होते तो हवा भी ना होती ,
तुम्हारे बिन तो कुछ भी ना
होता,
सावन ना आता घटा भी ना
छाती,
ना पलके झुकाती ना किसी से
लजाती ,
दिल की उमंगों को ना आकाश
मिलता ,
ना उड़ती हवा में ना परवाज पाती .
ना मस्ती में फिरती
दुपट्टे उड़ाती .
दिल की धडकनों को फिर किसको
सुनाती.
ना होठों पे लाली, ना काजल
लगाना
ना घर से निकलती ना बातें
बनाती
तुम ना होते तो कुछ भी ना
होता .
ना साँसे महकती, ना जुल्फ लहराती
ना कोई सपने दिखाता, ना
नींदे चुराता,
ना किसी से घबराती,
ना छुपती छुपाती.
तुम ना होते तो कुछ भी ना
होता .
.................. नीरज कुमार ‘नीर’
अगर तुम न होते तो कुछ भी न होता,,,
ReplyDeleteबहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
RECENT POST: दीदार होता है,
बहुत सुंदर ...हमेशा की तरह रोमानी :)
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत.
ReplyDeleteनीरज जी , एक स्त्री के मनोभावों को बहुत सुन्दरता से पेश किया है
ReplyDeleteलाजवाब..
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