Monday, 16 December 2013

पथिक अभी विश्राम कहाँ


पथिक अभी विश्राम कहाँ
मंजिल पूर्व आराम कहाँ.

रवि सा जल
ना रुक, अथक चल.
सीधी राह एक धर.
रह  एकनिष्ठ
बढ़ निडर .
अभी सुबह है, 
बाकी है अभी
दुपहर का तपना.
अभी शाम कहाँ,
मंजिल पूर्व आराम कहाँ.

चलना तेरी मर्यादा,
ना रुक, सीख बहना.
अवरोधों को पार कर
मुश्किलों  को सहना.
आगे बढ़ , बन जल
स्वच्छ, निर्मल.
अभी दूर है सिन्धु
अभी मुकाम कहाँ
मंजिल पूर्व आराम कहाँ ..

पथिक अभी विश्राम कहाँ
मंजिल पूर्व आराम कहाँ....
#neeraj_kumar_neer 
..... नीरज कुमार नीर

17 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रेरणादायी रचना...
    :-)

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  2. बहुत सुन्दर !
    नई पोस्ट चंदा मामा
    नई पोस्ट विरोध

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  3. मनोहारी एवं प्रभावी.

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  4. बहुत सुंदर रचना.

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  5. ऐसा है दृढ धैर्य हो तभी किनारा मिलता है. अति सुन्दर.

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  6. चलते चलते बढ़ते जाना,
    मन से मन की कहते जाना।

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  7. कल 18/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  8. ओज़स्वी ... आशा का संचार करती .. अग्रसर को प्रेरित करती भावभीनी रचना ...

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  9. बहुत ही उम्दा,प्रेरक प्रस्तुति...!
    RECENT POST -: एक बूँद ओस की.

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  10. सुंदर प्रेरक रचना......

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  11. अभी कहाँ आराम बदा है ..........

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  12. मंजिल पर पहुँचने का लक्ष्य रखने वालों को चैन कहाँ आराम कहाँ.इस पथिक को तो चलते रहना ही होगा.सुन्दर रचना.

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  13. वाह !! बहुत सुंदर रचना .....

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  14. सही खा नीरज जी, मंजिल पूर्व आराम कहाँ !

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आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

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