बन्दर राजा पहन के टाई
ठुमक ठुमक के चले ससुराल
एक हाथ में छतरी लेकर
एक हाथ में लाल रूमाल
शाम ढली तो बन्दर राजा
थक कर हो गए निढाल
चारो तरफ अँधेरा था,
नहीं पहुचे फिर भी ससुराल.
चलते चलते हो गयी देर
जंगल में था बब्बर शेर
सुनकर शेर की बड़ी दहाड़
बन्दर को लग गया बुखार
छतरी छूटी गिरा रूमाल
दौड़ दौड़ के हुए बेहाल
कान पकड़ कर कसम उठाई
अब नहीं जाऊँगा ससुराल ..
.. नीरज कुमार नीर ..
#neeraj_kumar_neer
अति सुंदर बालगीत ...!
ReplyDeleteRECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
बहुत सुन्दर बाल कविता.
ReplyDeleteनई पोस्ट : मृत्यु के बाद ?
bahut sundar ..
ReplyDeleteमस्त ... मज़ा आया बंदर राजा को पढ़ने के बाद ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना ...
बहुत ही सुन्दर
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ReplyDeleteबहुत सुंदर बाल कविता.... अच्छी प्रस्तुति.
ReplyDeleteहा हा हा .... सच्ची बड़ी हंसोड़ कविता
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