(प्रस्तुत कविता झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि क्षेत्रों में फैली सामाजिक, आर्थिक समस्या के ऊपर केन्द्रित है, कैसे कोई समस्या एक दुष्चक्र में परिणत हो जाती है एवं उसका नुकसान आम भोले भाले लोगों को भुगतना पड़ता है . मंदरा  मुंडा एक प्रतिनिधि है उसी भोले भाले आम आदमी का. थोड़ी संवेदनशीलता जरूरी है , आराम से पढ़िए और फिर बात दिल तक पहुचे तो अपना समर्थन अवश्य दें ) 
(जनकृति में प्रकाशित)
मंदरा मुंडा के घर में है फाका,
(जनकृति में प्रकाशित)
मंदरा मुंडा के घर में है फाका,
गाँव में नहीं हुई है बारिश, 
पड़ा है अकाल. 
जंगल जाने पर 
सरकार ने लगा दी है रोक ,
जंगल, जहाँ मंदरा पैदा हुआ, 
जहाँ बसती है, 
उसके पूर्वजों की आत्मा.
भूख विवेक हर लेता है. 
उसके बेटों में है छटपटाहट. 
एक बेटा बन जाता है नक्सली. 
रहता है जंगलों में. 
वसूलता है लेवी. 
दुसरे को कराता है भरती 
पुलिस में.
बड़े साहब को ठोक कर आया है सलामी 
चांदी के बूट से .
चुनाव आने पर,
नक्सली बेटा वोट करता है मैनेज 
चुनाव के बाद नेता 
बन जाता है मंत्री. 
गाँव में बुलाता है पुलिस 
होते हैं दोनों भाई 
आमने सामने.
अपनी अपनी बन्दूको के साथ
गिरती है लाश 
मरता है लोक तंत्र 
इस लाश को मत ओढाओ तिरंगा. 
ढको इसे सफ़ेद चादर से, 
रंग तो प्रतीक होता है, 
ख़ुशी और हर्ष का.
मदरा मुंडा के घर में पड़ा है शोक. 
फिर पड़ा है फाका, 
जंगल जाने पर 
अभी भी है रोक.
.. नीरज कुमार नीर ..  
#neeraj_kumar_neer
#neeraj_kumar_neer
चित्र गूगल से साभार 

 
 
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन राष्ट्रीय बालिका दिवस और ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteशुक्रिया ब्लॉग बुलेटिन ..
Deleteek sshkt kavita .....
ReplyDeleteचक्रव्यूह .......
ReplyDeleteबहुत प्रभावी
बड़ी प्रभावी कविता।
ReplyDeleteमित्रवर!गणतन्त्र-दिवस की ह्रदय से लाखों वधाइयां !
ReplyDeleteरचना अच्छी है !
आदिवासी जनजातियों/वन्य जीवन के अभावों का सजीव चित्रण !!
बढ़िया चित्रण ....
ReplyDeleteबहुत प्रभावी.......
ReplyDeleteकटु यथार्थ को बेबाकी से उधेड़ती सशक्त प्रस्तुति ! गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteमंडरा मुंडा एक प्रतीक है जो सामंती व्यवस्था में त्रस्त रहता है ..
ReplyDeleteशब्दों के माध्यम से व्यथा को लिखा है ...
काश आपका सन्देश कभी उन तक जा पाये. दया भी आती है, दुःख भी होता है, असहायता का एहसास भी. बहुत बढ़िया लिखा है.
ReplyDelete"मंदरा मूंदड़ा " एक तथ्यपरक ,भावनावों को झकझोरती ,यथार्थ को प्रस्तुत करती मार्मिक कविता है।
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