Thursday, 30 October 2014

फेनिल जल


कोमल फेन
हाथ आते ही बन जाता जल 
भीतर रहता 
हिल्लोल लेता 
महासागर अतल 
यह फेनिल जल 
जाकर छू आता 
अंतर्तल 
फिर आता सवार होकर 
लहरों पर 
स्वप्न टूटता और 
साहिल का माया जाल भी 
बच जाता महा सागर 
अनंत अतल।  
Neeraj neer / 25/10/2014

9 comments:

  1. जल, फेनिल सब साहिल तक ... जो की माया है सागर की ... चहुँ और रहती है ...

    ReplyDelete
  2. आपकी लिखी रचना शनिवार 01 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  3. चंचल चपल जल
    उसकी माया अतल !
    बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  4. very nice.

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/

    ReplyDelete
  5. जल ही जीवन है.रूप अनेक हैम.

    ReplyDelete
  6. बहुत खूब उड़ान कल्पना की सत्यता लिए |

    ReplyDelete
  7. बहुत की कोमल दर्शन है !


    हिंदी फोरम

    ReplyDelete

आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...