मैं जो दर्द अनुभव करता हूँ , जो दुःख भोगता हूँ, जिस आनंद का रसपान करता हूँ , जिस सुख को महसूस करता हूँ, मेरी कवितायें उसी की अभिव्यंजना मात्र है ।
जल, फेनिल सब साहिल तक ... जो की माया है सागर की ... चहुँ और रहती है ...
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (31.10.2014) को "धैर्य और सहनशीलता" (चर्चा अंक-1783)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
आपकी लिखी रचना शनिवार 01 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
चंचल चपल जल उसकी माया अतल ! बहुत सुन्दर रचना !
उम्दा रचना
very nice.http://hindikavitamanch.blogspot.in/
जल ही जीवन है.रूप अनेक हैम.
Bahut umda.... !!
बहुत खूब उड़ान कल्पना की सत्यता लिए |
बहुत की कोमल दर्शन है ! हिंदी फोरम
आपकी टिप्पणी मेरे लिए बहुत मूल्यवान है. आपकी टिप्पणी के लिए आपका बहुत आभार.
जल, फेनिल सब साहिल तक ... जो की माया है सागर की ... चहुँ और रहती है ...
ReplyDeleteआपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (31.10.2014) को "धैर्य और सहनशीलता" (चर्चा अंक-1783)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शनिवार 01 नवम्बर 2014 को लिंक की जाएगी........... http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteचंचल चपल जल
ReplyDeleteउसकी माया अतल !
बहुत सुन्दर रचना !
उम्दा रचना
ReplyDeletevery nice.
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जल ही जीवन है.रूप अनेक हैम.
ReplyDeleteBahut umda.... !!
ReplyDeleteबहुत खूब उड़ान कल्पना की सत्यता लिए |
ReplyDeleteबहुत की कोमल दर्शन है !
ReplyDeleteहिंदी फोरम